Ic-814 Hijack Real Story: क्या है कंधार हाइजैक की असली कहानी

IC814 हाईजैक मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने भारत की अस्मिता की रक्षा के लिए खुद को नीलकंठ बना लिया। मनीष सिंह का यह लेख उस महत्वपूर्ण घटना का विश्लेषण करता है, जिसमें भारतीय नेतृत्व ने आतंकियों के सामने घुटने टेक दिए और जसवंत सिंह ने अपने अद्वितीय साहस का परिचय दिया। जानिए इस सुसंगठित घटना के महत्वपूर्ण पहलुओं और जसवंत सिंह की भूमिका के बारे में...

कंधार का नीलकंठ..

IC814 मामला, किसी वेब सीरिज से चर्चा में है। तब घुटना टेक नेतृत्व, और उस कायर कैबिनेट में एक बहादुर ऐसा था, जिसकी बात होनी चाहिए।

जसवंत सिंह।

उस तस्वीर में भारत का प्रतिनिधि, जिसमें हमारी हुकूमत, अपनी पगड़ी चंद आतंकियों के कदमों में रख रही थी।

जहर का ये घूंट पीने के लिए, जसवंत ने नीलकंठ बनना स्वीकार किया।

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नई सहस्त्राब्दी करवट बदलने को थी।

जसवंत घर मे नए मेहमान का स्वागत कर रहे थे। पोती हुई थी। परम्परानुसार उसका मुंह मीठा कराने घर पहुंचे। वहीं खबर मिली-

IC-814 हाईजैक हो गया है।

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जहाज अमृतसर रुका, फ्यूल लिया। उड़ गया। मामला तो तभी हाथ से निकल गया था। सांप सूंघी हुई सरकार, अब टीवी पर गाल बजा रही थी।

जहाज लाहौर पहुंचा। वहां उतरने की इजाजत न मिली। दुबई को मुड़ा। फ्यूल खत्म हो रहा था, भारत ने किसी तरह दुबई से इजाजत ली।

दुबई के दूसरे, कम व्यस्त एयरपोर्ट पर जहाज देर रात उतरा। अलग खड़ा रहा।

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आजकल प्रधानसेवक के अभिन्न मित्र बने फिरते, शहजादे MBZ ने तब भारत को न नेगोशिएट करने की इजाजत दी,

न ऑपरेशन करने की।

अलबत्ता CNN को इजाजत मिली, जो रातभर भारत की लुटती इज्जत लाइव दिखाता रहा।

एक तिहाई यात्री और एक लाश.. एक कत्याल नामक यात्री की, दुबई में फ्यूल के बदले उतार दी गयी।

अलसुबह जहाज ने दुबई छोड़ा।

कन्धार पहुंचा।

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दिशाहीन नेतृत्व, दुबई की फुटेज और मीडीया के फैलाये पैनिक के बीच, सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यात्रियों के रिश्तेदार घुस गए।

आज "गोलियों से मां भारती की आरती" गाने वाला जंगजू मध्यवर्ग, तब हांफते हुए गुहार लगा रहा था..

ख्वाबों में बाबर से लड़ने वाली जनता, मौका आया तो तालिबान और 5 हाईजैकर्स के सामने देश के घुटने टेकने में कोई बुराई नही देख रही थी।

"लेट देम टेक व्हाट दे वांट"

मामला उनके बच्चों का जो था।

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तो नेगोशियशन चले।

हाईजैकर्स ने, भारत की जेलों में बंद 30 आतंकी मांगे। अंततः 3 पर सौदा हुआ। बड़ी धनराशि देने की भी कानाफूसी थी।

पाकिस्तानी मौलाना, मसूद अजहर, जो कश्मीर में आपस मे झगड़ रही तंजीमो के बीच सुलह कराने भेजा गया था। उसका भाई ही खुद प्रमुख हाईजैकर था। हाईजैक उसी के लिए हुआ था।

उमर शेख, इंटनेशनल टेरेरिस्ट था। पाकिस्तानी एस्टेब्लिशमेंट में उसके ऊंचे सम्पर्क थे। शायद उसने भी अपहर्ताओं को धन दिया। आगे वह डेनियल पर्ल का मर्डर करने वाला था। 9/11 वर्ल्ड ट्रेड हमले में केंद्रीय भूमिका रही।

दो पाकिस्तानी के बाद तीसरा एक लोकल कश्मीरी नाम लेना मजबूरी थी। पाकिस्तानी हैंडलर्स ने मुश्ताक अहमद जरगर को फाइनल किया।

जरगर, वही आदमी, जो पहले भी रुबाइया सईद के बदले, एक बार छोड़ा जा चुका था।

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तो 3 आतंकी और भारत की इज्जत एक हवाई जहाज में लादकर कन्धार में सरेंडर की जानी थी।

यह अप्रिय काम करने वाला, जीवन भर के लिए अपमानित होने वाला था।

फैसला जाहिर है, पूरी कैबिनेट का था।

मगर शर्म तारी थी। बाद में लौह पुरुष, उप प्रधानमंत्री, नम्बर 2 आडवाणी तो इस फैसले में सहमति से ही ही पल्ला झाड़ लेने वाले थे।

राष्ट्रीय अपमान का जहर पीने को यह राजस्थानी वीर आगे आया।

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दो जोड़ी कोट,एक गीता और एक रुद्राक्ष बैग में डालकर जसवंत कन्धार पहुंचे। शर्मनाक तस्वीरों का हिस्सा बने।

अपने कर्मों से मुंह छुपा कर पल्ला झाड़ने वालो के गैंग में, यह बहादुरी रेयर है।

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31 दिसम्बर।

7 दिन विलंब से फ्लाइट अपने गंतव्य, पालम पर उतरी। जसवंत उसी जहाज में आये।

सबसे पहले उतरे।

और सीढियों के नीचे तब तक खड़े रहे, जब तक आखरी यात्री ने सुरक्षित भारत भूमि पर कदम न रख दिये।

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जसवंत वह, जिन्होंने अटल युग मे अटल को ताकत दी।

घटिया धार्मिक राजनीति से दूर,

जिम्मेदार, स्वत्रन्त्र चिंतक, डाउन टू अर्थ,

सीरियस एडमिनिस्ट्रेटर जसवंत।

कारगिल, ऑपरेशन पराक्रम, बम, बस, अमेरिकी प्रतिबन्ध, संसद पर आतंकी हमले और IC-814 के दौर में..

बदनामियाँ इनके खाते में आईं,

उपलब्धि अटल के।

इसलिए ये नीलकंठ हैं।

सितंबर 2020 में वह गोलोक वासी हुए।

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जसवंत के पुत्र मानवेन्द्र ने एक आर्टिकल में लिखा..

2016-17 के दौरान वे पिता के साथ NDTV की एक बहस देख रहे थे। इस दौरान अपहृत जहाज में रही एक महिला, स्टूडियो में दर्शकों के बीच थी।

बहस में बार बार कूदकर, बड़ी बड़ी ताकतवर बातें कर रही थी। उसका कहना था कि देश ने आतंकियों को छोड़कर गलत किया।

भली अंग्रेजी बोलकर उसने खूब तालियां लूटीं।

तो टीवी पर बहस देखते हुए जसवंत ने मानवेन्द्र को बताया-

यह लेडी उस जहाज में सबसे ज्यादा हिस्टिरिकल (बदहवास) थी।

जब मैं कंधार में खड़े जहाज पर पहुचा तो यह मेरे सीने से आकर लग गयी और कहा..

आपने इतनी देर क्यो लगा दी?

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मनीष सिंह @RebornManish की एक्स टिप्पणी जनहित में साभार

(यह लेखक के निजी विचार हैं)