नई दिल्ली। एक तरफ भाजपा ने कोयला नीति के लिए कांग्रेस से राष्‍ट्र के सामने माफी मांगने को कहा है, तो भाजपा की इस पैंतरेबाजी पर सोशलिस्‍ट पार्टी का कहना है कि कांग्रेस को कोयला नीति ही नहीं, 1991 में नवउदारवादी नीतियों की शुरुआत करने के लिए राष्‍ट्र से माफी मांगनी चाहिए। यह खुद कांग्रेस और राष्‍ट्र के हित में होगा।
सोशलिस्‍ट पार्टी के उपाध्यक्ष एवं प्रवक्ता डॉ. संदीप पांडे ने कहा कि कांग्रेस की भ्रष्‍टाचार में लिपटी कोयला नीति नवउदारवादी नीतियों का ही नतीजा थी।
सोशलिस्‍ट पार्टी का कांग्रेस को कटघरे में खडा करने वाली भाजपा से सवाल है कि उसने कोयला खदानों के राष्‍ट्रीयकरण के फैसले को उलट कर उन्‍हें सीधे निजी हाथों में सौंपने का कांग्रेस से भी बुरा काम किया है। वह कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने वाली नवउदारवादी नीतियों को ही कांग्रेस से ज्‍यादा तेजी से आगे बढाने में जुटी है। भाजपा सरकार ने अपने शुरुआती संसद सत्र के साथ और उसके तुरंत बाद एक साथ 9 अध्‍यादेश जारी करके अपनी उग्र कारपोरेट समर्थक भूमिका जगजाहिरकर दी है। उसने उस भूमि अधिग्रहण कानून को भी नहीं बख्‍शा जो 1894 के बाद बमुश्किल कुछ हद तक बदला गया। संविधान के बदले कारपोरेट का शासन चलाने के लिए भाजपा को भी राष्‍ट्र से माफी मांगनी चाहिए।