1857 के क्रांतिकारियों का गीत
10-11 मई बीत गई। 10 मई को मेरठ में भारत के पहले स्‍वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई और 11 मई को सिपाही दिल्‍ली पहुंचे। देश पर साम्राज्‍यवादी कब्‍जे के खिलाफ बलिदानी सिपाही और जनता दो साल तक लड़ते रहे। कई लाख लोगों ने अपने प्राण न्‍यौछावर किए। किसी अखबार, पत्रिका, चैनल में यह चर्चा देखने-सुनने को नहीं मिली। किसी सामाजिक-राजनीतिक संगठन या सरकार की तरफ से कोई कार्यक्रम भी नजर से नहीं गुजरा।
कारपोरेट की लहर पर सवार चुनाव के नतीजे आ गए हैं। मनमोहन सिंह/ कांग्रेस ने बैनट अपने सर्वश्रेष्‍ठ उत्‍तराधिकारी को थमा दिया है। सही उत्‍तराधिकारी के ‘राज्‍याभिषेक’ में एनजीओ सरगनाओं ने बखूबी अपनी भूमिका का निर्वाह किया है। उन्‍होंने कारपोरेट के खिलाफ लडाई को छिन्‍न-भिन्‍न करके सचमुच देश कारपोरेट के लिए बचा लिया है। नवसाम्राज्‍यवादी निजाम उन्‍हें पहले से ज्‍यादा खिलअत और पदवियां देगा। जैसे उपनिवेशवादियों ने 1857 की क्रांति को कुचलने में मदद करने वाले राजे-रजवाड़ों, दलालों, जासूसों को दी थीं।
किशन पटनायक ने ‘विकल्‍पहीन नहीं है दुनिया’ में एक जगह लिखा है, भारत के बुद्धिजीवी की आज तक यह धारणा बनी हुई है कि अगर 1857 के लड़ाके जीत जाते तो देश अंधकार के गर्त में चला जाता।
अलबत्‍ता सरकारी धन मिले, जैसा कि 2007 में 1857 के विद्रोह के डेढ़ सौ साल पूरे होने पर मिला, तो वह एक से बढ़ कर एक सेमिनार और उत्‍सव आयोजित कर सकता है।
कांग्रेस ने पिछले करीब तीन दशकों में आजादी के संघर्ष की विरासत को धो-पोंछ कर साफ कर दिया है। आरएसएस/भाजपा अंग्रेजों के साथ ही थे। तब कंपनी की गुलामी थी, अब कारपोरेट है। पाखंडी आधुनिकता के यह बढ़ते चरण गौरतलब हैं।
1857 के क्रांतिकारियों की सेना का यह झंडा सलामी गीत अजीमुल्‍लाह खान ने लिखा था। आइए इसे पढ्ते हैं -
हम हैं इसके मालिक हिंदुस्‍तान हमारा,
पाक वतन है कौम का जन्‍नत से भी प्‍यारा।
यह हमारी मिल्कियत हिंदुस्‍तान हमारा,
इसकी रूहानियत से रौशन है जग सारा।
कितना कदीम कितना नईम सब दुनिया से न्‍यारा,
करती है जरखेज जिसे गंगो-जमुन की धारा।
ऊपर बर्फीला पर्वत पहरेदार हमारा,
नीचे साहिल पर बजता सागर का नक्‍कारा।
इसकी खानें उगल रहीं सोना हीरा पारा,
इसकी शान-शौकत का दुनिया में जयकारा।
आया फिरंगी दूर से ऐसा मंतर मारा,
लूटा दोनों हाथों से प्‍यारा वतन हमारा।
आज शहीदों ने है तुमको अहले-वतन ललकारा,
तोडो गुलामी की जंजीरें बरसाओ अंगारा।
हिंदू-मुसलमां-सिख हमारा भाई-भाई प्‍यारा,
यह है आजादी का झंडा इसे सलाम हमारा।।
सोशलिस्‍ट पार्टी की ओर से जारी।