राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति बनाए सरकार
आइपीएफ की प्रदेश इकाई की बैठक संपन्न
मोदी सरकार द्वारा 33 फीसदी से ऊपर नुकसान वाले किसानों को ही मुआवजे की घोषणा किसानों के साथ छलावा है
लखनऊ 13 अप्रैल 2015, बेमौसम बरसात व ओलावृष्टि से देश में किसानों की फसलों के भारी नुकसान और किसानों की हो रही मौतों पर आज संपन्न आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की प्रदेश इकाई की बैठक में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सरकारों से इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए किसानों को वाजिब मुआवजा और विशेष पैकेज देने की मांग उठाई गई। बैठक की अध्यक्षता आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस आर दारापुरी ने की।
बैठक में आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा 33 फीसदी से ऊपर नुकसान वाले किसानों को ही मुआवजे की घोषणा किसानों के साथ छलावा है। मुआवजे के नाम पर कुछ सौ रु. की राहत किसानों के जले पर नमक छिडकने जैसा है। जाहिर है, सरकारों का किसानों के प्रति रुख बेहद संवेदनहीन व अमानवीय है। सरकारों द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य व उसके आधार पर मुआवजे की बात ही तर्कसंगत नहीं है क्योंकि सरकारों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ही लागत मूल्य से काफी कम है। लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों तक को सरकार मानने के लिए तैयार नहीं है। लागत और मूल्य आयोग को आज तक न तो संवैधानिक दर्जा दिया गया और न ही इसकी सिफारिशों को बाध्यकारी बनाया गया है। अभी तक विदर्भ में किसानों की आत्महत्याओं की घटनायें सुनने को मिलती थीं लेकिन जिस तरह उत्तर भारत में किसानों की मौतों की घटनायें सामने आ रही हैं यह एक बडे कृषि संकट को प्रदर्शित करती हैं। देश की कृषि विकास दर शून्य पर आकर टिक गई है व ऋणात्मक विकास को प्रदर्शित कर रही है। किसानों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
श्री अखिलेन्द्र ने कहा कि मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरुद्ध जारी आंदोलन को देशी-विदेशी कारपोरेट, उनके हित में काम करने वाली केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा विकास के नाम पर किसानों की जमीन लूट नीति के खिलाफ केन्द्रित करना होगा। भूमि अधिग्रहण कानून के किसान विरोधी वास्तविक चरित्र को स्पष्ट करना होगा। मोदी सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून संशोधन अध्यादेश के खिलाफ आंदोलन को तेज करते हुए यूपीए शासन द्वारा 2013 में बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून के भी किसान विरोधी चरित्र को उजागर करना होगा। इसलिए 2013 में बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून में दिए गए ‘सहमति और सामाजिक प्रभाव‘ के प्रावधानों तक ही आंदोलन को सीमित नहीं रखना होगा बल्कि उस अवधारणा पर चोट करनी होगी जो जमीन को जीविका के संसाधन के रूप में न लेते हुए माल के रूप में बाजार की शक्तियों के हवाले करना चाहती है। पूर्ववर्ती मनमोहन और मौजूदा मोदी सरकार जमीन को जीविका के संसाधन के रूप में न लेकर इसे बाजार की वस्तु मानती हैं। इसलिए यूपीए और एनडीए की भूमि नीति में बुनियादी फर्क नहीं दिखता है।
आइपीएफ संयोजक ने कहा कि हमने जमीन के सवाल को जीविका के साधन के रूप में लेते हुए बराबर यह मांग की है कि राष्ट्रीय भूमि उपयोग नीति के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन हो जो कि सीमाबद्ध समय में अपनी संस्तुति दे और जब तक राष्ट्रीय आयोग की संस्तुति नहीं आ जाती तब तक कारपोरेट और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए जमीन के अधिग्रहण पर रोक लगायी जाए। साथ ही कारपोरेट को बाजार मूल्य के नाम पर किसानों की भूमि खरीदने की छूट भी न दी जाए। कारपोरेट आधारित विकास माडल की जगह किसान आधारित विकास का माडल ही न केवल किसानों के लिए बल्कि देश के सम्पूर्ण विकास के लिए बेहद जरूरी है। पिछले पच्चीस सालों से चल रही उदार अर्थनीति का भयावह परिणाम किसान आत्महत्या, बेकारी, महंगाई और संसाधनों की लूट है। इसलिए जरूरी है कि सहकारी खेती और कृषि आधारित कल-कारखानों के विकास के लिए आंदोलन किया जाए जिससे हमारा राष्ट्रीय अर्थतंत्र मजबूत हो, बेकारी, महंगाई और किसानों की आत्महत्या से छुटकारा मिल सके।
प्राकृतिक संसाधनों के बेलगाम लूट के सवाल पर उन्होंने कहा कि खनिज पदार्थों का उपयोग देश में औद्योगिक ढांचा खड़ा करने पर किया जाए और निजी हाथों में इसे जाने से रोका जाए। मोदी सरकार द्वारा खनिज पदार्थों की नीलामी से भले कुछ तात्कालिक लाभ की बात दिखे लेकिन यह हमारी आत्मनिर्भर मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। प्रमुख खनिज जैसे लौह अयस्क के निर्यात पर रोक लगायी जानी चाहिए और इसके नियोजन और उपयोग के लिए जन भागीदारी वाले सार्वजनिक क्षेत्र को पुनः मजबूत करने की जरूरत है। लघु खनन उपयोगिता के हिसाब से होना चाहिए व खनन की जबाबदेही स्थानीय लोगों की सहकारी समितियों ;कोआपरेटिवद्ध को दी जानी चाहिए। इसलिए देश में सार्वजनिक हितों की रोशनी में खनन नीति बनाने व खनन का राष्ट्रीयकरण करने के सवाल को आंदोलन में प्रमुखता से उठाया जाएगा। बैठक में लाल बहादुर सिंह, अजीत सिंह यादव, दिनकर कपूर, राजेश सचान, शम्भू नाथ कौशिक, विजय राव, अजय राय, कौशलकिशोर, कमलेश सिंह, राज नारायण मिश्र मौजूद रहे।