गाँधी की दुकान में गोडसे भक्तों का सामान
गाँधी की दुकान में गोडसे भक्तों का सामान
देश में खादी आश्रम की दुकानों पर बाबा रामदेव की कंपनी के माल बिकने लगे हैं।
"खादी एक वस्त्र नहीं, विचार है" कहकर देश के अन्दर गाँधी आश्रमों की एक बड़ी श्रृंखला खादी व कुटीर उद्योगों की एक बड़ी संस्था कायम हुई थी। आज उसका उपयोग विचार शून्यता के इस दौर में गाँधी की हत्या करने वाले गोडसे समर्थक रामदेव कर रहे हैं और गाँधी आश्रम में उनके द्वारा अत्याधुनिक मशीनों द्वारा उत्पादित सामग्री की बिक्री की जा रही है। वहीँ, दूसरी ओर सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनी जीवन बीमा निगम को नए कानून व आदेशों के तहत पूरे व्यापार को प्राइवेट सेक्टर में दिया जा रहा है। जिसका सबूत यह है कि पेंशन कारोबार में 90 प्रतिशत की गिरावट से चितिंत जीवन बीमा उद्योग ने क्षेत्र में समान अवसर उपलब्ध कराने की मांग की है। यह मांग नहीं पूरी होनी है और अंत में एलआईसी का सारा कारोबार धीरे-धीरे निजी बीमा कंपनियों के हाथ में चला जायेगा।
रामदेव अन्य बाबाओं की तरह बड़े व्यापारी हैं। व्यापारी होना एतराज की बात नहीं पर कर चोरी करना, जमीनों के सौदों में हेरफेर करना और राजस्व न चुकाना, ये जरूर एतराज की बातें हैं। जिस पर तुर्रा यह है कि रामदेव, सोनिया-राहुल पर दोष मढ़ते रहते हैं। मंशा यह जताना रहती है कि चूंकि वे हिंदू हैं, योगगुरु हैं इसलिए विदेशी मूल की सोनिया गांधी को यह रास नहीं आता। परेशान करने के मकसद से उन के यहां छापे डलवाए जाते हैं।
कुल मिलाकर वर्तमान सरकार सार्वजानिक क्षेत्र को घाटे में पहुंचा कर बड़े-बड़े उद्योगपतियों को किसी भी तरह से सौंप देना चाहती है। उसी मंशा के तहत नागपुर मुख्यालय की विचारधारा के तहत योग गुरु के प्रोडक्ट्स गाँधी आश्रम पर बिकवाकर गोडसे की विचारधारा को पूरे देश में फैलाया जा रहा है। गाँधी की हत्या को हत्या न मानकर वध का रूप दिया जा रहा है।
ब्रिटिश साम्राज्यवाद को परास्त करके महानायक के रूप में गाँधी उभरे थे, इसीलिए ब्रिटिश समर्थक लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। गाँधी से सहमत होना, असहमत होना यह विचारों के मतभेद का कारण हो सकता है, लेकिन हत्या करना फासिस्टों की निशानी है। क्या देश फासिज्म की तरफ बढ़ रहा है? गोडसे नायक होंगे, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के पक्षधर लोग आज अमेरिकी साम्राज्यवाद के अंधभक्त हैं।
रणधीर सिंह सुमन


