गाजा में मिली सामूहिक क़ब्रें: इसराइली हमलों के पीछे छिपी नई चिंताएँ, मृतकों के हाथ बंधे हुए पाए गए
गाजा में मिली सामूहिक क़ब्रें : जिनमें फ़लस्तीनी लोगों को निर्वस्त्र किया गया था और उनके हाथ बंधे थे। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने इसे युद्धापराधों के रूप में चिन्हित किया है।

गाजा में सामूहिक क़ब्रें मिली हैं, जिनमें फ़लस्तीनी लोगों को निर्वस्त्र किया गया था और उनके हाथ बंधे थे। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने इसे युद्धापराधों के रूप में चिन्हित किया है। बीते सप्ताह के दौरान, गाजा में दो अस्पतालों में सैकड़ों शव बरामद किए गए, जिन्हें ज़मीन में दबाकर उन स्थानों को कूड़े-कचरे से ढँक दिया गया।
‘ग़ाज़ा में मिली सामूहिक क़ब्रों में, मृतकों के हाथ बंधे हुए पाए गए’
न्यूयॉर्क 25 अप्रैल 2024 (संयुक्त राष्ट्र समाचार) ग़ाज़ा में मिली सामूहिक क़ब्रों के बारे में भयभीत कर देने वाला विवरण सामने आ रहा है जिनमें फ़लस्तीनी लोगों को कथित रूप में निर्वस्त्र किया गया था और उनके हाथ बंधे हुए थे. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने मंगलवार को कहा है कि इस विवरण को देखकर, इसराइली हमलों में, युद्धापराधों को अंजाम दिए जाने के बारे में नई चिन्ताएँ उभरी हैं.
ग़ौरतलब है कि गत सप्ताहान्त के दौरान मध्य ग़ाज़ा में ख़ान यूनिस के नासेर अस्पताल और उत्तरी इलाक़े में स्थित ग़ाज़ा सिटी के अल-शिफ़ा अस्पताल के मैदानों में सैकड़ों शव बरामद किए गए हैं जिन्हें ज़मीन में दबाए जाने के बाद उन स्थानों को कूड़े-कचरे से ढक दिया गया था.
नासेर अस्पताल में कुल 283 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें से 42 शवों की शिनाख़्त कर ली गई है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा है, “मृतकों में कथित रूप से वृद्धजन, महिलाएँ और घायल लोग थे, जबकि अन्य मृतकों को हाथ बंधे हुए थे...उन्हें निर्वस्त्र किया गया था.”
अल-शिफ़ा अस्पताल से बरामदगी
यूएन मानवाधिकार प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने ग़ाज़ा के स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से बताया है कि अल-शिफ़ा अस्पताल से और अधिक शव बरामद हुए हैं.
अल-शिफ़ा अस्पताल परिसर, 7 अक्टूबर (2023) को युद्ध भड़कने से पहले तक, ग़ाज़ा पट्टी का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केन्द्र था. इसराइल ने यह कहते हुए अल-शिफ़ा अस्पताल पर कुछ सप्ताह पहले बड़ा हमला किया था कि वहाँ से हमास के चरमपंथी युद्धक गतिविधियाँ चला रहे थे.
इसराइल का यह सैन्य अभियान अप्रैल के प्रथम सप्ताह में ख़त्म हुआ. दो सप्ताह की सघन लड़ाई के बाद, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने, 5 अप्रैल को पुष्टि की कि अल-शिफ़ा अस्पताल अब एक खंडहर मात्र बचा है, जिसमें अधिकर चिकित्सा सुविधाएँ और उपकरण राख़ के ढेर में तब्दील हो गए हैं.
रवीना शमदासानी ने जिनीवा में पत्रकारो को बताया कि ख़बरों में मालूम हुआ है कि ग़ाज़ा सिटी के अल-शिफ़ा अस्पताल के मैदान में दो सामूहिक क़ब्रों में 30 फ़लस्तीनियों के शव दबाए गए थे. इनमें से एक सामूहिक क़ब्र आपात चिकित्सा इमारत के सामने और अन्य सामूहिक क़ब्र डायलिसिस इमारत के सामने पाई गई.
मानवाधिकार प्रवक्ता ने कहा कि अल-शिफ़ा अस्पताल में पाई गईं इन दो सामूहिक क़ब्रों से बरामद किए गए फ़लस्तीनी लोगों के शवों में से, 12 शवों की पहचान कर ली गई है, मगर अन्य मृतकों की पहचान स्थापित करना सम्भव नहीं हो सका है.
रवीना शमदासानी ने कहा, “ऐसी ख़बरें हैं कि इन क़ब्रों में बरामद किए गए कुछ मृतकों के हाथ भी बंधे थे.”
प्रवक्ता ने कहा कि इसराइली सेना द्वारा अल-शिफ़ा अस्पताल परिसर में लड़ाई के दौरान 200 फ़लस्तीनियों को मारने के दावों के बावजूद, ऐसा लगता है कि अभी इन परिसरों में और भी मृतक दबे हो सकते हैं.
विध्वंस, भय, पीड़ा और मृत्यु 200 दिन
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने 7 अक्टूबर को इसराइल में हमास के हमले से भड़के युद्ध के दौरान इसराइली हमलों के लगभग 200 दिनों के दौरान हुई मौतों और भीषण विनाश पर गहन चिन्ता व्यक्त की है. उन्होंने ख़ासतौर पर नासेर अस्पताल और अल-शिफ़ा अस्पताल में हुई भारी तबाही और सामूहिक क़ब्रों में सैकड़ों लोगों के शव दबे होने पर हैरानी व्यक्त की है.
वोल्कर टर्क ने कहा कि आम लोगों, बन्दियों और युद्ध में शिरकत नहीं करने वाले अन्य लोगों की इरादतन हत्या करना, एक युद्ध अपराध है. उन्होंने इन मौतों की स्वतंत्र जाँच कराए जाने का आहवान किया है.
बढ़ती मृतक संख्या
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने ग़ाज़ा पट्टी के स्वास्थ्य अधिकारियों का सन्दर्भ देते हुए कहा है कि ग़ाज़ा युद्ध में 22 अप्रैल तक, 34 हज़ार फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें 14 हज़ार 685 बच्चे और 9 हज़ार 670 महिलाएँ हैं.
ग़ाज़ा युद्ध में 77 हज़ार से अधिक अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें 7 हज़ार से अधिक लोगों को, मलबे में दबा हुआ बताया गया है.
वोल्कर टर्क ने कहा है कि हर दस मिनट में एक बच्चा हताहत होता है. बच्चों को युद्ध के क़ानूनों के तहत संरक्षण हासिल है, मगर फिर भी इस युद्ध में बच्चों को भी सबसे भीषण क़ीमत चुकानी पड़ी है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े रफ़ाह में, इसराइल के पूर्ण आक्रमण के विरुद्ध भी चेतावनी जारी की है जहाँ लगभग 12 लाख लोग पनाह लिए हुए हैं. इनमें से अधिकतर लोग, ग़ाज़ा के अन्य इलाक़ों में युद्ध से बचकर यहाँ पहुँचे हैं.
(स्रोत- संयुक्त राष्ट्र समाचार)
UN Human Rights Chief @volker_turk deplores Israeli strikes on #Gaza, where every 10 minutes a child is killed or wounded.
Full-scale Israeli incursion on Rafah would risk more deaths & injuries, further breaching international humanitarian & human rights law.
— UN Human Rights (@UNHumanRights) April 23, 2024
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