सावधान हो जाओ भारत के लोगों। छतीसगढ़ नयी गुलामी की प्रयोगशाला है
जज साहब प्रभाकर ग्वाल जानते थे सरकार आदिवासियों की ज़मीन पर कब्जा करना चाहती है
जज साहब प्रभाकर ग्वाल आदिवासियों का दर्द समझते थे
हिमांशु कुमार

सुकमा के जज प्रभाकर ग्वाल को बर्खास्त कर दिया गया है। उन्हें क्यों बर्खास्त किया गया ? क्योंकि सुकमा के जज साहब प्रभाकर ग्वाल इतने ईमानदार हैं कि वे पूरी ज़िन्दगी साइकिल से कोर्ट आते थे। जज साहब जानते थे सरकार आदिवासियों की ज़मीन पर कब्जा करना चाहती है। जज साहब आदिवासियों का दर्द समझते थे। जज साहब को पता था कि इन ज़मीनों को विदेशी कंपनियों को दिया जायेगा। पुलिस इसके लिये कभी पचास तो कभी सौ निर्दोष आदिवासियों को पकड़ कर जज साहब के सामने लाती थी।
पुलिस जज साहब से कहती थी कि ये आदिवासी नक्सली हैं इन्हें जेल भेज दीजिये।
जज साहब मामले की पूरी जानकारी मांगते थे। जज साहब को पता चलता था कि ये आदिवासी तो बाज़ार जा रहे थे। जज साहब पुलिस को इस तरह की बदमाशी करने के लिये डांटते थे।
इस तरह जज साहब सरकार की आंख का कांटा बन गये। भाजपा सरकार का मुखिया रमन सिंह कंपनियों से इतना पैसा ले चुका है कि उन्हें स्विस बैंक और पनामा में रख रहा है। निर्दोष आदिवासियों को जेलों में डालने और मार डालने पर पुलिस को नगद इनाम और तरक्की दी जाती है। लेकिन ये ईमानदार दलित जज पूरा खेल बिगाड़े दे रहा था। तो सरकार ने सुकमा पुलिस अधीक्षक से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को चिट्ठी लिखवाई कि जज साहब पुलिस को डांटते हैं। हाई कोर्ट ने सुकमा के इन ईमानदार जज साहब से उनका पक्ष भी नहीं पूछा और उन्हें फटाफट बर्खास्त कर दिया।
जब मैं छतीसगढ़ के बारे में बताता हूँ तो कुछ लोग मुझ पर बिल्कुल विश्वास नहीं करते। लोग कहते हैं कि क्या पूरे राज्य में एक भी ईमानदार अधिकारी नहीं है। ज़रूर हैं ईमानदार अधिकारी ईमानदार जज पुलिस छतीसगढ़ में भी हैं, लेकिन इनमें से अगर कोई आदिवासियों का साथ देने की जुर्रत करेगा, तो उसे उठा कर बाहर फेंक दिया जायेगा।
सावधान हो जाओ भारत के लोगों। छतीसगढ़ नयी गुलामी की प्रयोगशाला है। वहाँ सफल होने के बाद इस गुलामी को पूरे भारत में लागू किया जायेगा। छत्तीसगढ़ की तरह पूरे भारत में सरकार बन्दूक के दम पर चलाई जायेगी। जैसे छतीसगढ़ में हरेक आज़ाद सोच के इन्सान को सरकार नक्सलवादी कहती है। सरकार वैसे ही पूरे मुल्क में आपको मुसलमानों का एजेंट, राष्ट्रद्रोही कह कर जेलों में ठूँस देगी।
आप विकास के लालच में अन्धे हो गये थे ना ? आदिवासी का मारा जाना आपको कोई समस्या नहीं लगता था ना ? अब जब पुलिस आपकी बेटी से सामूहिक बलात्कार करेगी और विरोध करने पर आप के बेटे को गोली मार देगी। आप को तब समझ में आयेगा कि हम आपको पहले से ही किस खतरे के बारे में आगाह कर रहे थे ?

हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल से साभार