ज्योति बसु सही अर्थ में गांधी के दरिद्र नारायण के प्रतीक पुरुष थे
ज्योति बसु सही अर्थ में गांधी के दरिद्र नारायण के प्रतीक पुरुष थे
ज्योति बसु सही अर्थ में गांधी के दरिद्र नारायण के प्रतीक पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत के मजदूरों का बिंब झलकता था। भारत में महात्मा गांधी ने राजनीति को जहां छोड़ा था ज्योति बसु ने देश की राजनीति को उस बिंदु से आगे बढ़ाया। गांधी ने भारत की आजादी की जंग में प्रेरक प्रतीक की भूमिका अदा की थी,साम्प्रदायिकता को रोकने की प्राणपण से चेष्टा की थी, राष्ट्र के सम्मान और जनता के हितों की रक्षा करने के लिए अपने जीवन के समस्त सुखों को त्याग दिया था, ठीक यही प्रस्थान बिंदु है जहां से ज्योति बसु अपनी कम्युनिस्ट जिंदगी आरंभ करते हैं।
लंदन से बैरिस्टरी पास करके भारत आने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी के पूरावक्ती कार्यकर्त्ता का जीवनपथ स्वीकार करते हैं।
उल्लेखनीय है ज्योति बसु के यहां दौलत की कमी नहीं थी, गरीब मजदूरों -किसानों की सेवा के लिए उन्होंने सादगीपूर्ण जीवनशैली अपनायी। सादगी और कष्टपूर्ण जीवन का मंत्र उन्हें मजदूरों से मिला था। अभिजनवर्ग के स्वभाव, वैभव, मूल्य और राजनीति का विकल्प गरीबों के जीवन में खोजा, जिस समय राजनेता गांधी की विचारधारा के पीछे भाग रहे थे उस समय ज्योति बसु गरीबों के हितों और सम्मान की रक्षा के लिए खेतों -खलिहानों से लेकर कारखाने के दरवाजों पर दस्तक दे रहे थे।
गांधी की राजनीति खेतों और कारखानों के पहले खत्म हो जाती थी जबकि ज्योति बसु की राजनीति वहां से आरंभ होकर संसद-विधानसभा के गलियारों तक जाती थी।
ज्योति बसु ने सही अर्थों में गरीब और संसद के बीच में सेतु का काम किया था। गरीबों के बोध में जीकर ज्योति बसु ने अपने मार्क्सवादी सोच को परिष्कृत किया था।
एक बार बांग्ला चैनल स्टार आनंद पर साक्षात्कार में पश्चिम बंगाल के भू.पू. मुख्यमंत्री सिद्धार्थशंकर राय ने कहा वे ज्योति बसु के घर नियमित आते -जाते थे। साथ ही रसोईघर में भी जाते थे> उन्होंने कहा मैंने कभी उनके यहां मांस-मछली का खाना बनते हुए नहीं देखा। उस समय ज्योति बसु विधायक थे, और आधा विधायक भत्ता पार्टी ले लेती थी। भत्ता भी कम मिलता था। आधे भत्ते में ज्योति बसु किसी तरह गुजारा करते थे।
एक दिन सिद्धार्थशंकर राय ने प.बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री विधानचन्द्र राय से कहा कि ज्योति बसु बेहद कष्ट में जीवनयापन कर रहे हैं, उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता बना दीजिए और भत्ता भी बढ़ा दीजिए, उन्होंने तुरंत ज्योति बसु को विपक्ष का नेता बना दिया और भत्ता बढ़ाकर 750 रुपये कर दिया। ज्योति बसु ने यह भत्ता कभी नहीं लिया। और कष्टमय जीवन जीना पसंद किया।
सिद्धार्थशंकर राय ने कहा कि ज्योति बसु ने सारा जीवन कष्ट और कुर्बानी देकर गुजारा। उनके जैसा बेहतरीन इंसान होना असंभव है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी


