तारिक कासमी को उम्र कैद, जज ने कहा ‘नौकरी करनी है, मजबूरी में दे रहा हूं फैसला’
तारिक कासमी को उम्र कैद, जज ने कहा ‘नौकरी करनी है, मजबूरी में दे रहा हूं फैसला’
रिहाई मंच ने बताया सियासी फैसला
लखनऊ, 24 अपै्रल 2015। कचहरी बम धमाके के आरोपी तारिक कासमी को बांराबंकी की स्थानीय अदालत द्वारा आजीवन कारावास देने के फैसले को रिहाई मंच ने राजनीतिक फैसला करार देते हुए इसे इंसाफ का कत्ल बताया है।
तारिक कासमी के अधिवक्ता व रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि यह शासन-प्रशासन के दबाव में दिया गया फैसला है जिसका मकसद तारिक कासमी और दिवंगत खालिद मुजाहिद को बाराबंकी से फर्जी तरीके से फंसाने, उन दोनों को गैर कानूनी हिरासत में रखने, उनके साथ सांप्रदायिक आधार पर उत्पीड़न करने जिसमें एसटीएफ के लोगों द्वारा मुंह में पेशाब करना, दाढ़ी नोचना, सूअर का गोश्त खिलाना शामिल है, को बचाने के लिए व मुस्लिम समाज के मनोबल को तोड़ने के लिए यह फैसला दिया गया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने तारिक और खालिद की बाराबंकी से गिरफ्तारी को संदिग्ध बताते हुए फर्जी तरीके से उनके पास से हथियारों की बरामदगी दिखाने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की सिफारिश की थी तब ऐसे में तारिक को आर्म्स ऐक्ट में सजा देने का मतलब ही पुलिस वालों को बचाना है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि दोषी पुलिस वालों को बचाने के लिए ही सरकार ने निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर ऐक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं ले आई।
वहीं तारिक कासमी के दूसरे अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि जिस तरह का फैसला आया है उसका कोई न्यायिक आधार ही नहीं है। जिसकी तस्दीक फैसला सुनाने वाले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसपी अरविंद की फैसला सुनाने से पहले भरी अदालत में की गई यह टिप्पणी है कि ‘नौकरी करनी है, मजबूरी में दे रहा हूं फैसला’। उन्होंने बताया कि विधि के विरुद्ध आज बचाव पक्ष के वकीलों को कुर्सी भी नहीं दी गई और उन्हें अदालत में खड़ा रखकर फैसला सुनाया गया जो आतंकवाद के आरोप में बंद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों का मुकदमा लड़ने वाले वकीलों के प्रति शासन प्रशासन के भेद-भाव पूर्ण रवैए को दर्शाता है।
बता दें, इस फर्जी गिरफ्तारी कांड में कभी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती की नाक का बाल रहे पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह व ब्रजलाल, जो अब भाजपा नेता हैं, आरोपों के घेरे में रहे हैं।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि तारिक कासमी को आजीवन कारावास के फैसले एवं 26 अप््रैल को रिहाई मंच द्वारा आयोजित हाशिमपुरा के इंसाफ के सवाल पर प्रदेश सरकार विरोधी सम्मेलन की अनुमति को निरस्त करने की घटना ने इस बात को साफ कर दिया है कि सरकार इंसाफ के सवाल को अदालत से लेकर सड़क तक दबाने पर उतारू है।


