मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा की जांच रिपोर्टों को पचा जाने में मुलायम रहे हैं माहिर- मोहम्मद शुऐब
सरकार सहाय जांच आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक कर करे कार्रवाई- रिहाई मंच
गोंडा में साम्प्रदायिक हिंसा सपा-भाजपा की साजिश का नतीजा- राजीव यादव
अखिलेश ने जगमोहन यादव को डीजीपी दंगे करवाने के लिए ही बनाया है
लखनऊ 26 सितम्बर 2015। मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की जांच कर रहे जस्टिस विष्णु सहाय द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दिए जाने का स्वागत करते हुए रिहाई मंच ने प्रदेश सरकार से इस पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। संगठन ने बकरीद से पूर्व हुई गोंडा में साम्प्रदायिक हिंसा को सपा और भाजपा की मिलीभगत का नतीजा बताते हुए इसे 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले ध्रुवीकरण कराने की कोशिश बताया है।

रिहाई मंच द्वारा जारी बयान में संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा की न्यायिक जांच रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक कर उस पर सपा सरकार को कार्रवाई करके अपनी इमानदारी साबित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा की जांच रिर्पोटों को पचा जाने में माहिर रहे हैं और वे मुरादाबाद, हाशिमपुरा, मलियाना, कानपुर, फैजाबाद मुस्लिम विरोधी हिंसा की जांच रिर्पोटों को पहले ही पचा चुके हैं इसलिए आजम खान, अहमद हसन, अबु आसिम आजमी जैसे सपा के मुस्लिम नेताओं समेत उनके 40 से ज्यादा मुस्लिम विधायकों को मुलायम सिंह यादव द्वारा विष्णु सहाय कमीशन रिपोर्ट को भी पचा ले जाने से रोकने के लिए लगातार मुस्तैद रहना चाहिए। जिससे समाज में यह संदेश जाए कि वे सिर्फ मुलायम सिंह यादव की जी हुजूरी करने वाले गुलाम नहीं हैं बल्कि मुसलमानों को इंसाफ दिलाने के लिए अपने आका के खिलाफ भी आवाज उठा सकते हैं।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा है कि अगर सपा सरकार ने मुजफ्फरनगर और दूसरी साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के दोषियों के खिलाफ समय रहते कार्रवाई कर दिया होता तो संजय सिंह बालियान, कुंवर भारतेंद्र सिंह और फैजाबाद के लल्लू सिंह की जगह संसद में नहीं बल्कि जेल में होती। रिहाई मंच नेता ने कहा कि प्रदेश सरकार शुरू से ही मृतकों के आंकड़े को कम करके बताती रही है जिसके मुताबिक सिर्फ 60 लोग मारे गए थे जबकि रिहाई मंच ने अपने तथ्य अन्वेषण में तकरीबन 150 लोगों के मारे जाने का आंकड़ा इकठ्ठा किया था। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच आयोग ने मृतकों की संख्या कितनी बताई है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर जैसी घटनाएं दुबारा ना हों इसके लिए जरूरी है कि दंगाईयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तो की ही जाए खापों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि ये सिर्फ भारतीय न्यायपालिका को ही चुनौती नहीं दे रही हैं बल्कि सौकड़ों लोगों के कत्ल, बलात्कार और लाखों लोगों के विस्थापन की वजह साबित हुई हैं।

राजीव यादव जिन्होंने मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान मेहरदीन, निवासी डूंगर की जाटों द्वारा हत्या करके पुलिस की मौजूदगी में बिना पोस्टमार्टम दफना देने के खिलाफ मुकदमा करते हुए शव को जमीन से निकाल कर पोस्टर्माट करने की मांग करते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था, ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस ने आज तक उनके एफआईआर पर कार्रवाई नहीं की तो वहीं उनके द्वारा लखनऊ के अमीनाबाद थाने में भाजपा विधायकों संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा के खिलाफ जेल के अंदर से फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट लगाने के खिलाफ दी गई तहरीर पर भी एफआईआर तक दर्ज न किया जाना साबित करता है कि प्रदेश की पुलिस शुरू से ही दंगाईयों को प्रश्रय दे रही थी। आज जब जांच आयोग की रिपोर्ट सौंप दी गई है जिसमें मीडिया रिर्पोट के मुताबिक संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा की भूमिका अहम मानी गई है तब सरकार को शर्म करते हुए अपनी गलती को स्वीकार कर अमीनाबाद थाने में भाजपा नेताओं के खिलाफ दी गई तहरीर पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए।

रिहाई मंच नेता ने कहा कि बकरीद से दो दिन पहले गोंडा में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा जिसमें पुलिस की मौजूदगी में पूरे तीन घंटे तक दंगाईयों ने मुसलमानों की दुकानों को चुन-चुन कर जलाया वह साबित करता है कि अखिलेश यादव ने जगमोहन यादव को जिस उद्येश्य से डीजीपी बनाया था वह उसमें सफल हो गए हैं। उन्होंने गोंडा की घटनाओं को सपा और भाजपा की साजिश का नतीजा बताते हुए कहा कि फैजाबाद सांप्रदायिक हिंसा के दौरान जिस जगमोहन यादव को पद से हटा दिया गया हो उनको डीजीपी बनाए जाने का मकसद ही मुस्लिम विरोधी दंगाईयों को पुलिस का खुला सहयोग दिलाकर साम्प्रदायिक हिंसा कराना था। जिसमें वे गोंडा समेत कई जगहों पर सफल भी रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे साम्प्रदायिक पुलिस अधिकारियों को पुरस्कृत करने का सपा का रिकॉर्ड काफी पुराना है। जिसके तहत उसने कानपुर सांप्रदायिक हिंसा के मास्टरमाइंड रहे तत्कालीन एसएसपी और संघ परिवार के घोषित समर्थक एसी शर्मा जिनकी दंगा कराने में भूमिका की जांच के लिए माथुर कमीशन गठित किया गया था जिसकी रिपोर्ट आज तक दबा कर रखी गई है, को भी कानपुर के मुसलमानों का कत्लेआम करने के एवज में डीजीपी बनाया गया था। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह को यह समझ लेना चाहिए कि मुसलमान देर से ही सही लेकिन उनके संघ परिवार के एजेंट होने की हकीकत को समझ गया है और सपा की यह सरकार आखिरी सरकार साबित होने जा रही है।

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