निष्पक्ष दृष्टि से रचनाओं को देखना ही आलोचना : काशीनाथ सिंह
निष्पक्ष दृष्टि से रचनाओं को देखना ही आलोचना : काशीनाथ सिंह
उदयपुर के साहित्यकार पल्लव को डॉ. घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार,
प्रयास संस्थान की ओर से सूचना केंद्र में हुआ समारोह,
दिग्गज कथाकार काशीनाथ सिंह, डॉ. आशुतोष मोहन, पुखराज जांगिड़,
डॉ. घासीराम वर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार व साहित्यप्रेमी रहे मौजूद
चूरू। हिंदी के बहुचर्चित वरिष्ठ साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने कहा है कि राजनीति में जो हो रहा है, दुर्भाग्य से वैसा ही कुछ साहित्य में भी हो रहा है और आज आलोचना में रचना की बजाय रचनाकार को ध्यान में रखा जाता है, पल्लव इस मायने में सबसे भिन्न हैं कि उनकी नजर हमेशा रचना पर ही रहती है।
काशीनाथ सिंह रविवार को प्रयास संस्थान की ओर से शहर के सूचना केंद्र में आयोजित डॉ. घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार समारोह में पल्लव को सम्मानित करने के बाद बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पल्लव आलोचना के लिये अधिकांशतः अच्छी लेकिन उपेक्षित रचना को चुनते हैं और व्यक्तिगत संबंध के निर्वाह के नाम पर किसी को भी अनावश्यक रियायत नहीं देते हुये पक्षपातरहित दृष्टि से रचनाओं को देखते हैं, वास्तव में आलोचना यही है। उन्होंने कहा कि वह जमाना गया, जब किसी एक दिग्गज आलोचक के कहने मात्रा से साहित्य की प्रमाणिकता तय हो जाती थी, आज प्रत्येक व्यक्ति व आलोचक अपने नजरिए से सोचता है और चीजों का मूल्य तय करता है, पल्लव उसी लोकतांत्रिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयास संस्थान की साहित्यिक गतिविधियों की सराहना करते हुये कहा कि इस पुरस्कार के कारण देशभर के लोग चूरू को जानने लगे हैं लेकिन पुरस्कार देते समय यह प्रयास रहना चाहिये कि इसमें युवाओं को तरजीह दी जाये क्योंकि साहित्य का भविष्य युवाओं के हाथ में है। उन्होंने डॉ. घासीराम वर्मा की सराहना करते हुये कहा कि मूलतः गणित के व्यक्ति हैं लेकिन हर तरह के गणित से दूर रहकर अपने समाज और जनता को प्रेम करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नई दिल्ली के साहित्यकार डॉ. आशुतोष मोहन ने कहा कि साहित्य जगत् में आज आलोचना की त्रासदी यह है कि पाठक आलोचना से कृति की ओर से बढ़ना चाहता है जबकि उसे कृति से आलोचना की ओर जाना चाहिये। दूसरी बात यह कि आलोचना रचनाओं की कमी बताए तो लेखक को अखरता है और आलोचक के साथ बड़ी मुश्किलें पेश आती है। इसके बावजूद पल्लव ने अपनी आलोचना में सैद्धांतिक साहस को बनाए रखा है और इसी में उनकी आलोचना की प्रासंगिकता है। उन्होंने पल्लव में निहित सम्भावनाओं को जाहिर करते हुये कहा कि वे सटीक आलोचना की कोशिश करते रहें और महान आलोचक बनने की बजाय अच्छा आलोचक बनने की दिशा में काम करें।
विशिष्ट अतिथि युवा साहित्यकार पुखराज जांगिड़ ने कहा कि साहित्य में आलोचना इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रचनाओं को देखने की एक दृष्टि मिलती है। एक आलोचक के रूप में पल्लव हमें बताते हैं कि कहानी एक रचना के रूप में किस प्रकार चीजों को देख रही है और पहचान भी रही है। उन्होंने कहा कि आज चीजों को देखने का नजरिया बदल रहा है और पल्लव इस बदलाव की मुखर अभिव्यक्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि शरतचंद्र के देवदास में अब देवदास की बजाय पारो को कथा का नायक समझा जाने लगा है और स्त्री को बर्बाद करके उससे प्रेम का दम्भ भरने वाले पुरूष को चुनौती दी जाने लगी है। उन्होंने कहा कि भूमंडलीकरण में गुम होते जीवन की कथाओं को पल्लव ने अपनी आलोचना का विषय बनाया है, यह उनकी आलोचना का अत्यन्त महत्वपूर्ण पक्ष है।
सम्मानित साहित्यकार पल्लव ने विनम्रता से पुरस्कार को स्वीकार करते हुये कहा कि उन्हें सुखद आश्चर्य हो रहा है है कि रचनाकारों के इस संसार में आलोचना पुरस्कृत हो रही है। उन्होंने कहा कि देश में सहिष्णुता के लिये खतरा बनने वाले तत्वों के खिलाफ हमें एकजुट होकर लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का निर्वाह करना चाहिये। उन्होंने कहा कि युवा लेखन और आलोचना की परम्परा को अधिक सशक्त किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों के लिये चिंतित शिक्षक डॉ. घासीराम वर्मा और अपने प्रिय साहित्यकार काशीनाथ सिंह के हाथों सम्मानित होकर उन्हें बेहद प्रसन्नता हो रही है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुये ख्यातनाम गणितज्ञ डॉ. घासीराम वर्मा ने कहा कि समाज में सदियों से स्त्री को उपेक्षित रखा गया है, अब वह आगे आ रही है तो पुरूष को यह बात अखर रही है। उन्होंने कहा कि साहित्य में भी स्त्री के बारे में गलत बातें लिखी गयी हैं, जिससे समाज में गलत संदेश गया है लेकिन आज स्थितियों में बदलाव आने लगा है।
कार्यक्रम के आरम्भ में चित्तौड़गढ के युवा आलोचक पल्लव को उनकी पुस्तक “कहानी का लोकतंत्र” के लिये छठे डॉ. घासीराम वर्मा पुरस्कार के रूप में पांच हजार रुपए, शॉल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। प्रयास के संरक्षक भंवर सिंह सामौर ने अतिथियों का स्वागत किया। युवा साहित्यकार कुमार अजय ने सम्मानित साहित्यकार का परिचय प्रस्तुत किया। वयोवृद्ध साहित्यकार बैजनाथ पंवार ने आभार जताया। प्रयास के अध्यक्ष दुलाराम सहारण व उम्मेद गोठवाल अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। संचालन कमल शर्मा ने किया।
पूर्व सभापति रामगोपाल बहड़, जयसिंह पूनिया, हनुमान कोठारी, रियाजत अली खान, माधव शर्मा, महावीर सिंह नेहरा, खेमाराम सुंडा, सोहन सिंह दुलार, वासुदेव महर्षि, शोभाराम बणीरोत, श्यामसुंदर शर्मा, शंकर झकनाडि़या, अर्चना शर्मा, नीति शर्मा, इंदिरा सिंह, मोहन सोनी चक्र, राजेंद्र शर्मा मुसाफिर, कमल सिंह कोठारी, भवानी शंकर शर्मा, ओमप्रकाश तंवर, हरिसिंह सहारण, रामगोपाल ईसराण, सुधींद्र शर्मा सुधी, विकास मील, जमील चैहान, देवेंद्र जोशी, राधेश्याम कटारिया, राजेंद्र कसवा, राजीव स्वामी, जलालुद्दीन खुश्तर, मुंगल व्यास भारती, अरविंद चूरूवी, अंग्रेजी के युवा उपन्यासकार देवेंद्र जोशी, संजय कुमार ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। समारोह में बड़ी संख्या में अंचल के साहित्यप्रेमी मौजूद थे।
(चुरू से दुलाराम सहारण की रिपोर्ट)


