बंगाल में नाजी फासी राजनीति के लिए जनाधार तैयार कर रहा ममता राज
बंगाल में नाजी फासी राजनीति के लिए जनाधार तैयार कर रहा ममता राज
एक्सकैलिवर स्टीवेंस विश्वास
स्वभाव से ममता कलाकार हैं और कभी वे अपने ब्रश से रंग भरती हैं, कभी कविताओं के जरिए लोगों को भावों से भर देती हैं, तो कभी अपने संगीत से लोगों को लुभाती हैं...ये हैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी। सड़क पर किसी भी मुद्दे को लेकर जनहित में लगातार आंदोलन चलाना जैसे नंदीग्राम सिंगुर प्रकरण में, उनका राजनीति ब्रांड है। वहीं,राजकाज में मां माटी मानुष जमाने में न जनसुनवाई है, न कानून का राज है और न लोकतांत्रिक तरीके से किसी जनांदोलन की कोई संभावना है। ममता बनर्जी का राजकाज दरअसलबंगाल में नाजी फासी राजनीति के लिए जनाधार तैयार कर रहा है, जो किसी साधारण सी लगने वाली महिला के इस ऊँचाई तक पहुँच जाने के बाद शायद भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले में 2 अक्टूबर को हुए धमाके के सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत देश के शीर्ष सुरक्षा और खुफिया प्रमुखों ने घटना स्थल का दौरा किया। डोभाल ने यहां बांग्लादेश के जिहादी संगठनों के फलने फूलने परममता बनर्जी सरकार की बेखबरी पर कथित रूप से असंतोष व्यक्त किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डोभाल ने ममता बनर्जी को सख्त संदेश दिया और कहा कि राज्य सरकार आतंकवाद के खतरे से आँख नहीं चुरा सकती। वहीं ममता ने आतंकवाद से लड़ने में अपनी ओर से केंद्र को पूरे सहयोग का भरोसा दिया और मिलकर काम करने का वादा किया।
केंद्रीय मंत्रिमडल से समर्थन वापस लेने के उनके आत्मघाती राजीनिक दिवालियेपन की वजह से उन्हीं की शुरु तमाम परयोजनाएं अटक गयी हैं और उद्योग और कारोबार के मामले में पार्टी जनों की बेलगाम वसूली और सिंडकेट सस्कृति की वजह से बाकी बचे खुचे उद्योग धंधे भी चौपट होने लगे हैं।
रोजगार सृजन का कोई उपाय नहीं हो पा रहा है और कानून व्यवस्था अब बलात्कार संस्कृति है।
शिक्षा क्षेत्र में भी राजनीतिक वर्चस्व का आलम यह है कि जादवपुर विश्वविद्यालय में पुलिस बुलवाकर नंदीग्राम और रवींद्र सरोवर कांड दोहराने वाले अस्थाई उपकुलपति को छात्रों और अध्यापकों के अविराम आंदोलन के बाद ममता दीदी ने स्थाई नियुक्ति दे दी है और विश्वविद्यालय को केंद्रित होक कलरव दिनोदिन तेज होता जा रहा है। पठन पाठन बंद है। जादवपुर के छात्रों ने इस बीच एक जनमत संग्रह कराया जिसमें विश्वविद्यालय के नब्वे फीसद छात्रों ने वीसी को हटाने की माँग की है।
वोट बैंक के सांप्रदायिक और धार्मिक ध्रुवीकरण से अल्पसंख्यकों के वोट बैंक भरोसे सरकार और पार्टी चल रही है लेकिन अल्पसंख्यकों को भी अब असुरक्षा का डर सता रहा और सुरक्षा के लिए वे भाजपा में जाने लगे हैं तो उनपर सत्तादल का हमला तेज होने लगा है। हाल में वीरभूम जिले की घटनाएँ कुछ इसी प्रकार है जहाँ पीड़ितों से मिलने की इजाजत सासदों को भी नहीं मिल रही है जबकि मुआवजा हमलावरों को मिल रहा है।
इसी बीच केरल से शुरू हुआ "किस ऑफ लव" आंदोलन कोलकाता पहुँच गया है। बुधवार को स्टार थियेटर के सामने प्रेमी युगलों ने कोच्चि में हुई घटना का विरोध जताया। वहीं प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के निकट प्रेमी युगलों ने सभा एवं विरोध प्रदर्शन किया। विरोध जता रहे युवक-युवतियों के हाथों में पोस्टर थे, जिस पर लिखा था- हमलोग "किस ऑफ लव" का समर्थन करते हैं। यादवपुर विश्वविद्यालय से यादवपुर थाने तक जुलूस भी निकाला गया।


