बुंदेलखंड सद्भावना यात्रा
03-11-2015 to 08-11-2015
एक रिपोर्ट
बुंदेलखंड सद्भावना यात्रा 2015 उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मध्य में स्थित बुंदेलखंड क्षेत्र में मौजूद विभिन्न सांझी संस्कृतियों और लोक गीतों को एकजुट करते हुए संवेदना और सद्भावना का प्रसार करने के उद्देश्य से निकली गयी थी| बुंदेलखंड जो सदियों से प्राक्रतिक सौंदर्य और वीरता की धरती रही है वर्तमान समय में मात्र सूखा ग्रसित क्षेत्र बन कर रह गया न सिर्फ राजनीतिक बल्कि कई साम्प्रदायिक ताकते बुंदेलखंड की फिजां में जहर घोलने की कोशिश में लगी हुयी| इन्हीं ताकतों के खिलाफ आम जन को एकजुट करने और उन्हें साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए प्रेरित करना ही यात्रा का मकसद था | चिश्ती सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित श्री युगल किशोर शरण शाश्त्री जी के नेतृत्व में निकली गयी 23वी यात्रा थी| जिनका कहना है कि समाज को फासीवादी एवं साम्प्रदायिक ताकतों से बचाने के लिए वे इस तरह यात्राएं आंगे भी निकालते रहेंगे |
यात्रा के प्रमुख पड़ाव –
अयोध्या :: यात्रा की शुरुआत अयोध्या के सरयू कुञ्ज मंदिर में “ सद्भावना सभा “ के साथ हुयी| जिसमें यात्रा के सभी साथी शामिल थे| इस दौरान यात्रा के सभी पहलुओं पर चर्चा की गयी| समाज में बढ्ती असहिष्णुता और वैमनस्यता आदि मुद्दों पर प्रमुख रूप से चर्चा हुयी| सभा में सद्भावना आश्रम के साथियों द्वारा एकता गीतों का गायन भी हुया | सारे विश्व में अमन चैन हो के सन्देश के साथ यात्रा आंगे के सफर के चल पड़ी |
सुल्तानपुर :: अयोध्या से चलकर यात्रा सुलतानपुर के सद्गुरु कबीर विज्ञान आश्राम नौगवा रायतासी पहुंची | जहाँ पर “ कबीर भजन संध्या “ कार्यक्रम का आयोजान किया गया | यह कार्यक्रम एक गाँव में अयोजीय किया गया था जिसमे काफी संख्या में ग्रामीण शामिल थे| कार्यक्रम में कबीर भजन गायक रामप्रसाद और राजेंद्र जी द्वरा प्रस्तुत भजन “ हम का उढ़ावे चुनरिया
कबीर विज्ञान आश्रम के सन्यासियों को धन्यवाद के साथ यात्रा अगले पड़ाव ए.एस. मेमोरियल पब्लिक स्कूल सुल्तानपुर की ओर चल पड़ी| जहाँ पर स्कूली बच्चों के साथ “ बच्चों का सन्देश सद्भावना के नाम ” कार्यक्रम का आयोजन किया गया था| कार्यक्रम में सभी उम्र के लगभग 800-1000 बच्चे उपस्थित थे| कार्यक्रम की शुरुआत सद्भावना आश्रम के साथियों द्वारा प्रस्तुत शान्ति गीत – “ मै तुमकों को विशवास दूं, तुम मुझको विशवास दो “ “से हुयी| बच्चों को यह गीत इतना अच्चा लगा कि तालियों की गूँज से पूरा हाल चहक उठा| तबले की ताल ने बच्चों को काफी प्रभावित किया| यात्रा संयोजक युगल किशोर शास्त्री जी ने यात्रा के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बच्चों को अपने जीवन में कुछ न कुछ अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया| इस बीच स्कूली बच्चों ने भी कुछ गीत प्रसुत किये और सामाजिक सद्भाव को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का वादा किया| कार्यक्रम के अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य के उत्साहवर्धन शब्दों के साथ यात्रा के आंगे के लिए चल पड़ी|
इलाहाबाद :: संगम नगरी इलाहबाद की पवित्र धरती प्रेम और विशवास की एक ऐसी अनूठी मिसाल है| जहाँ नदियों की पवित्रता न सिर्फ लोगों के आकर्षण का केंद्र है बल्कि सार्वभौमिक एकता का सन्देश भी देती है| इसलिए इसे यात्रा के एक प्रमुख पडाव के रूप में रखा गया था| इलाहबाद के “स्वराज पीठ” में यात्रा के ठहराव की व्यवस्था थी| स्वराज पीठ के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत का कार्यक्रम भी हुआ जिसमे गांधीवादी विचारक स्वर्गीय बनवारी लाल जी की पत्नी भी शामिल थीं|
अगली सुबह इलाहबाद के “बाल भारती विधालय“ की तरफ से एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम में करीब में 700-800 बच्चें शामिल थे| कार्यक्रम की शुरुआत यात्रा के उद्देश्य एवं साथियों के परिचय यात्रा के साथ हुयी| शाश्त्री जी सभा को संबोधित करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि जिस तरह से हमारे समाज में साम्प्रदायिक घटनाएं बढ़ रही है उससे न सिर्फ हमारे समाज को नुक्सान होता है बल्कि इससे बच्चों का विकास भी प्रभावित होता है, बच्चों के मन मस्तिक पर समाज की एक गलत छाप पड़ती है जो उनके मानसिक विकास को अवरुद्ध करता है जिसके निकट भविष्य में खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते है| इसलिए यदि हम सभी अपने बच्चों का अच्छा भविष्य चाहते हैं तो हमे जाति–धर्म से ऊपर उठाकर, मानवता और आपसी प्रेम की विचारधारा को अपनाना होगा| कबीर भजन मण्डली द्वारा कबीर भजन और सद्भावना आश्रम के साथियों द्वारा एकता गीत प्रस्तुत किये गए| कार्यक्रम के अंत में स्कूल प्रभंधक ने यात्रा के साथियों का हौसला बढ़ाते हुए, पूर्ण सहयोग का वादा किया| कार्यक्रम में 1000 पर्चे भी बंटे|
अगली सुबह इलाहबाद के “बाल भारती विधालय“ की तरफ से एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया| कार्यक्रम में करीब में 700-800 बच्चें शामिल थे| कार्यक्रम की शुरुआत यात्रा के उद्देश्य एवं साथियों के परिचय यात्रा के साथ हुयी| शाश्त्री जी सभा को संबोधित करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि जिस तरह से हमारे समाज में साम्प्रदायिक घटनाएं बढ़ रही है उससे न सिर्फ हमारे समाज को नुक्सान होता है बल्कि इससे बच्चों का विकास भी प्रभावित होता है, बच्चों के मन मस्तिक पर समाज की एक गलत छाप पड़ती है जो उनके मानसिक विकास को अवरुद्ध करता है जिसके निकट भविष्य में खतरनाक परिणाम देखने को मिल सकते है| इसलिए यदि हम सभी अपने बच्चों का अच्छा भविष्य चाहते हैं तो हमे जाति–धर्म से ऊपर उठाकर, मानवता और आपसी प्रेम की विचारधारा को अपनाना होगा| कबीर भजन मण्डली द्वारा कबीर भजन और सद्भावना आश्रम के साथियों द्वारा एकता गीत प्रस्तुत किये गए| कार्यक्रम के अंत में स्कूल प्रभंधक ने यात्रा के साथियों का हौसला बढ़ाते हुए, पूर्ण सहयोग का वादा किया| कार्यक्रम में 1000 पर्चे भी बंटे|
चित्रकूट :: यह एक धार्मिक एवं एतिहासिक स्थल है| एक ऐसा स्थल भी है जहाँ कई धर्मों का समावेश भी होता है| चित्रकूट में यात्रा के साथियों ने विभिन्न एतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया और पर्चे बांटे तथा आम जनमानस के साथ बातचीत की|
कर्वी :: कर्वी के अतरा में स्थानीय पत्रकारों के साथ एक “ पत्रकार – वार्ता ” का आयोजन हुआ| शाश्त्री जी ने यात्रा के उद्देश्य एवं उसके महत्त्व को पत्रकारों के बीच रखते हुए कहा कि वर्तमान समय में हमारे समाज की संरचना में मीडिया का भी एक अहम् रोल हो गया है, आज हर चीज की दशा और दिशा पर इस बात का प्रभाव भी पड़ता है कि मीडिया उसके किस पक्ष को उजागर करता है उजले या नकारात्मक| इस दौरान यात्रा के अन्य साथियों ने भी पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया| अंत में पत्रकारों ने हमसे वादा किया कि वे हमारे सन्देश को अपनी कलम के माध्यम से आम जन के बीच प्रसारित करने का प्रयास करेंगे| वार्ता के बाद यात्रा के आंगे के सफर पर चल पड़ी |
महोबा :: चिंगारी फाउन्डेसन के साथियों ने सद्भावना यात्रा का फूल मालाओं से स्वागत किया| संस्था द्वारा महोबा के संत्कुंज पैलेस में एक “ सद्भावना सभा “ का आयोजन भी किया गया| जिसमें महोबा क्षेत्र के कई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकता एवं सम्मानित गण उपस्तिथ रहे| सभा में शाश्त्री जी ने सभी से साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर अभियान चलाने की अपील की | चिंगारी संस्था के अध्यक्ष अभिषेक शर्मा जी शांति एवं सद्भाव के लिए अपना पूर्ण समर्थन देने बात कही| कार्यक्रम में यात्रा के साथियों ने सद्भावन सन्देश के पर्चे भी बांटे|
झांसी :: महोबा से बढ़कर यात्रा अपने अंतिम पडाव झांसी पहुंची| जहाँ विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था| “ स्वतंत्रता सेनानी ख़ाक सार अब्दुल मजीद “ साहब जी द्वारा यात्रा के साथियों का पूरी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया| ऐसा लग रहा था जैसे झांसी की धरती फूल बरसा रही हो| जिसके उपरान्त सद्भावना समिति, द्वारा झांसी के आई. टी. आई. परिसर में एक बड़े कार्यक्रम का योजन किया गया था| जिसमे पूरी झांसी से शान्ति के सैनिक शामिल थे| कार्यक्रम में शाश्त्री जी ने यात्रा के मकसद के बारे में अपना वक्तव्य हुए, सभी साथियों को यह शपथ भी दिलवाई कि हम सभी हिंसा और नफरत के खिलाफ शांति और प्रेम की अलख जलाएंगे |
झांसी में ही आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में कबीर भजन और शान्ति के गीतों के साथ साम्प्रदायिक सौहार्द विषय पर चर्चा हुयी| इस दौरान यात्रा के साथियों द्वारा लगभग 1000 पर्चे भी बांटे गए |
झांसी के किले पर सलामी ठौकते हुए यात्रा वापस अयोध्या के लिए निकल गयी|
साथियों हम झांसी से अयोध्या की ओर रवानगी, यात्रा का समापन नहीं है बल्कि एक शुरुआत है एक नयी यात्रा के लिए और यह यात्रा तब तक नहीं रुकेगी जब तक हमारे समाज का हर तबका शान्ति का सिपाही नहीं बन जाएगा और हर बगीचे में प्रेम और सद्भाव के फूल नहीं उग आयेंगे| हमारी यात्रा जारी रहेगी और जारी रहेगी ........
यात्रा में शामिल प्रमुख साथी –
युगल किशोर शरण शाश्त्री
के एम् भाई
राम प्रसाद साहब
राजेंद्र प्रसाद
जीसान
लबकुश
अंकित
शिवम्
अजीत
करन
ईरम सिद्दकी
सीमा
यात्रा में आयोजक संस्थाएं –
सर्व धर्म सद्भावना ट्रस्ट, नयी दिल्ली
अयोध्या की आवाज, अयोध्या
आशा परिवार, कैथी वाराणसी
सद्भावना आश्रम, कानपुर