लोकतंत्र बीमार है
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मिमिक्री मत करना कभी अब
जेलों में अब भी जगह बहुत है
पुलिस दुरुस्त हैं
बस, बीमार है
लोकतंत्र !

पुस्तक मेले में आके देखो
बाबाओं के स्टाल पर
दस रुपये की मोटी किताब है
सेवक-सेविकाएँ
एकदम चुस्त हैं
बाउंसर सजग है
बस लोकतंत्र बीमार है

पता नहीं क्या बकता है
ये साला गायेन पागल है !

- तुम्हारा कवि
क्या लिखता है
मत पढ़ो,
सब कचरा है |

उनका पढ़ो
सब मौलिक, महान हैं |

नित्यानंद गायेन