मिल्ली गजट प्रकरण - गम्भीर पत्रकारिता पर मोदी सरकार की घिनौनी चोट
मिल्ली गजट प्रकरण - गम्भीर पत्रकारिता पर मोदी सरकार की घिनौनी चोट
लखनऊ 30 जून 2016। रिहाई मंच ने अंग्रेजी पाक्षिक मिल्ली गजेट का लाइसेंस रद्द करने के प्रयासों को मोदी सरकार का निष्पक्ष पत्रकारिता पर लगाम लगाने की एक और कोशिश करार दिया है।
मंच ने कहा है कि मोदी सरकार द्वारा अपने सामने नतमस्तक मीडिया समूहों के मालिकान को राज्य सभा भेजना और आलोचनात्मक समूहों को परेशान करने के अभियान ने मीडिया के समक्ष विश्वसनीयता का गम्भीर संकट पैदा कर दिया है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए दीर्घकालिक नुकसान साबित होगा, जिसकी भरपाई मोदी के जाने के बाद भी लम्बे समय तक नहीं हो पाएगी।
मिल्ली गजट को प्रताड़ित कर लोकतंत्र को मजाक बना रही है सरकार- रिहाई मंच
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि आयुष विभाग द्वारा योगा शिक्षकों की नियुक्ति में मुसलमानों को नियुक्त नहीं करने की मोदी सरकार की नीति को उजागर करने के कारण इस प्रतिष्ठित अखबार को सरकार जानबूझ कर प्रताड़ित कर रही है। इस मामले में खबर के लेखक और आरटीआई एक्टिविस्ट पुष्प कुमार को पहले ही जेल भेजकर काफी प्रताड़ित किया जा चुका है, जो आजकल जमानत पर बाहर हैं। वहीं इस खबर पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने सरकार के इशारे पर स्वतः संज्ञान लेकर अखबार पर ही मुकदमा करके अपने को संघ परिवार के आनुषांगिक संगठन की भूमिका में ला दिया है।
मिल्ली गजट के साथ खड़े होकर गम्भीर पत्रकारिता की परम्परा को बचाना जरूरी
रिहाई मंच नेता ने कहा कि आलोचनात्मक मीडिया को प्रताड़ित करने की नीति के तहत ही पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन दिल्ली पुलिस ने इस अखबार का लाईसेंस रद्द कर देने की सिफारिश की है, जो मीडिया के उत्पीड़न के मामले में अभूतपूर्व घटना है। उन्होंने कहा कि एक तरफ साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले जी न्यूज के मालिक सुभाष चंद्रा जैसे लोगों को मोदी सरकार द्वारा राज्य सभा भेजना, खबर के नाम पर नाग-नागिन की कहानी दिखाने वाले रजत शर्मा को पद्म भूषण से सम्मानित किया जाना और मिल्ली गजेट जैसे अखबार और उसके सम्पादक जफरूल इस्लाम खान जो ऑल इंडिया मुस्लिम मशावरत जैसे प्रतिष्ठित संगठन के अध्यक्ष रह चुके हैं, को प्रताड़ित किया जाना लोकतंत्र को मजाक में तब्दील कर रहा है, जिस पर पूरी दुनिया हंस रही है।
पहले भी संघ परिवार से जुड़े अपराधियों ने फॉरवर्ड प्रेस पर हमला किया था
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि मिल्ली गजट पिछले 17 सालों से भारतीय मुसलमानों और धर्मनिरपेक्ष समूहों के नजरिए से खबरों और विचारों को प्रसारित करता रहा है। शोधपरक खबरों के लिए पहचान रखने वाला यह अखबार शोधार्थियों द्वारा काफी कोट किया जाता है, यहां तक कि कई प्रतिष्ठित लेखकों द्वारा इसकी खबरों को अपनी किताबों में कोट किया जाता रहा है। लिहाजा मिल्ली गजट के पक्ष में खड़ा होना गम्भीर पत्रकारिता और लोकतंत्र को बचाने के अभियान में शामिल होना है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी संघ परिवार से जुड़े अपराधियों ने फॉरवर्ड प्रेस नाम की पत्रिका के दफ्तर पर हमला करके दलित आवाज को दबाने की कोशिश की थी जिसके दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा एनडीटीवी को भी कई शहरों में निजी केबल ऑपरेटरों से बंद करवा दिया गया है ताकि मोदी की नाकामियां, उनके खोखले दावों के हकीकत को बयान करने वाली खबरों को लोगों तक पहुंचने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि इस सब के बीच प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का सरकार परस्त संगठन में तब्दील हो जाना और मिल्ली गजट के साथ खड़े होने के बजाए सरकार के साथ खड़े होना शर्मनाक है।


