महाभारत के नायक
लफ्फाजी की महाभारत ज़ारी रहेगी
कॉर्पोरेट सेक्टर जनता से जल,जंगल, जमीन छीनता रहेगा, सरकार उसकी गुलामी करती रहेगी
उफ़ा में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने मिलकर दोनों पक्ष सभी लंबित मुद्दों पर चर्चा के लिए सहमति बनी, जिसमें भारत और पाकिस्तान ने मुम्बई आतंकी हमले से संबंधित मुकदमे में तेजी लाने का निर्णय, दिल्ली में मिलेंगे भारत-पाकिस्तान के एनएसए डीजी बीसीएफ और डीजीएमआई की बैठक, दोनों पक्षों ने 15 दिनों के भीतर एक-दूसरे के मछुआरों और उनकी नौकाओं को छोड़ने का निर्णय, मुंबई हमले के वॉयस सैंपल मुहैया कराएंगे व नवाज शरीफ ने पीएम मोदी को दिया सार्क सम्मेलन में आने का न्योता दिया।
दो तीन दिन से लगातार दाऊद से लेकर कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की नजरबंदी और फिर नजरबंदी को वापस लेना तथा अलगाववादी नेताओं की जेलों से रिहाई आदि का हाई प्रोफाइल ड्रामा देश की जनता को देखने को मिल रहा है। न पाकिस्तान दाऊद को भारत को सौंपने जा रहा है, न ही भारत पाकिस्तान से अच्छे सम्बन्ध रखना चाहता है। अगर भारत-पाकिस्तान के सम्बन्ध अच्छे हो जायेंगे, तो तथाकथित राष्ट्रवादी देशभक्तों की दुकानें अपने आप बंद हो जाएँगी, लेकिन ड्रामा चल रहा है।

इस ड्रामे का अंत अगर हो जाता है तो दोनों देशों के राष्ट्रवादी एक इंच जमीन न देने का नारा लगाने वाले लोगों की राजनीति समाप्त हो जाएगी।
चुनाव में कई दलों को इस नाटक से वोट का प्रतिशत बढ़ता है, इसलिए यह सब होता रहता है। हिंदी साहित्य में भी अगर पकिस्तान और कश्मीर न होता तो आधी कवितायेँ नहीं लिखी जाती और बहुत सारे लोग कवि बनने से वंचित रह जाते। पिछली एनडीए सरकार में कारगिल की घुसपैठ या युद्ध या सीमा पार फायरिंग कुछ भी नाम दे, नूराकुश्ती का ही परिणाम था और राष्ट्रवादियों ने ताबूत घोटाला कर डाला था। देश की जनता का ध्यान हटाने के लिए यह सब होता रहता है और लफ्फाजों का युद्ध मीडिया में घमासान रूप से जारी रहता है।
वहीँ, उग्र हिन्दुत्व वाला दल शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि 'दाऊद का भजन बंद करो, अगर आप में हिम्मत है तो पाकिस्तान में घुसो और उसे पकड़ कर लेकर आइए।'
यह दल हमेशा उग्र राष्ट्रवाद की बात करता है, लेकिन देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने के लिए कोई कोर-कसर नही छोड़ता है। कभी भाषा के नाम पर, कभी प्रान्त के नाम पर यह अपने देश के नागरिकों के खिलाफ भी तलवारें भाँजता रहता है।
यह सब हाई प्रोफाइल ड्रामा जान बूझकर जनता का ध्यान दूसरी तरफ करने के लिए किया जाता है वहीँ, दूसरी तरफ सरकार कॉर्पोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए जो काम कर रही होती है, उसकी तरफ लोगों का ध्यान न जाए और उसकी बहस संसद में भी न होने पाए उसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाती है। यह सरकार सोमवार को पेट्रोलियम क्षेत्र की सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (आइओसी) में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश करने जा रही है.। सरकार का कहना है कि इससे सरकारी खजाने में 9,500 करोड रुपये आने की उम्मीद है। सरकार ने इंडियन ऑयल कार्पोरेशन में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिये 387 रुपये का न्यूनतम शेयर मूल्य तय किया। इससे पहले किये गये तीन विनिवेश से 3,000 करोड़ रुपये जुटाये गये। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 69,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
इस तरह से सार्वजानिक क्षेत्र को सस्ते दामों पर उद्योगपतियों को बेचने का काम जारी है, जिसकी चर्चा न इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में है, न प्रिंट मीडिया में है। सरकार में स्थापित नेतागण पाकिस्तान से लफ्फाजी की महाभारत करते रहते हैं और एक विशेष प्रकार का उन्माद जनता में पैदा करते हैं, ताकि जनता उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों के सम्बन्ध में सोचने व समझने की स्थिति में न रह जाए, यही आतंकवाद के नाम पर सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। लफ्फाजी की महाभारत ज़ारी रहेगी, कॉर्पोरेट सेक्टर जनता से जल,जंगल, जमीन छीनता रहेगा। सरकार उसकी गुलामी करती रहेगी।
रणधीर सिंह सुमन

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