लोकतन्त्र के लिये खतरनाक पुलिस का मुस्लिम विरोधी रवैया : मोहम्मद इस्माईल
लोकतन्त्र के लिये खतरनाक पुलिस का मुस्लिम विरोधी रवैया : मोहम्मद इस्माईल
मुसलमानों के खिलाफ साम्राज्यवाद के भारतीय दलाल रच रहे साजिश
सपा अब आरएसएस की गोद में बैठ गयी है- नजमुज्जमा
रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 37वें दिन उपवास पर बैठे मोहम्मद फैज
लखनऊ, 27 जून। मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की माँग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 37वें दिन भी जारी रहा। उपवास पर आज मोहम्मद फैज बैठे। पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य मोहम्मद इस्माइल ने पचासों कार्यकर्ताओं के साथ रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने में शिरकत की और उसे अपना समर्थन दिया।
इस दौरान मोहम्मद इस्माईल ने कहा कि आजादी से पहले हिन्दुत्ववादियों ने मुसलमानों को गद्दार के बतौर प्रचारित किया। आजादी मिलने के बाद उन्होंने हमें पाकिस्तानी एजेन्ट कहकर बदनाम करने की कोशिश की और 1990 के बाद मुसलमानों को आतंकवादी कहकर पुकारा जा रहा है। मुसलमानों के खिलाफ यह एक सुनियोजित षडयन्त्र है जो साम्राज्यवादी देशों और साम्राज्यवाद के दलाल भारतीय सत्ताधारियों द्वारा रचा जा रहा है। इस षडयन्त्र के जरिए आज खालिद मुजाहिद और कतील सिद्दीकी जैसे बेगुनाह नौजवानों को आतंकवादी बताकर पहले पकड़ा जाता है और जब उनके खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिलता तब उन्हें जेलों के अन्दर कत्ल कर दिया जाता है। तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से आये पीएफआई के नेता इस्माइल ने कहा कि सिर्फ दिल्ली में ही 60 से ज्यादा मुस्लिम नौजवानों को कुछ सालों के अन्दर ही आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ों में मारा गया है तो वहीं दिल्ली के सुरक्षित जेलों में भी मुसलमानों का कत्ल किया जाता रहा है। जिस पर पक्ष-विपक्ष समेत तमाम संवैधानिक संस्थायें खामोश रही हैं जो दिखाता है कि देश किस दिशा में जा रहा है। इतना ही नहीं, देश में कोई ऐसा कानून अथवा ऐसी एजेन्सी नहीं है जो बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फर्जी मुकदमों में फँसाये जाने वाले पुलिस के आरोप-पत्र के लेखन की जाँच करे और दोषी अधिकारियों को न्याय के दायरे में लाये।
पीएफआई के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अंसारुलहक ने कहा कि भारतीय पुलिस की मानसिक प्रवृत्ति साम्प्रदायिक हो चुकी है। इसीलिये किसी भी आतंकी वारदात में उसकी जाँच की दिशा सिर्फ मुसलमानों की तरफ ही होती है और तमाम निर्दोष मुसलमान जेलों में बन्द कर दिये जाते हैं या फिर खालिद मुजाहिद की तरह मार दिये जाते हैं। पुलिस की इस जेहनियत को बिना बदले भारत के भविष्य को नहीं बचाया जा सकता।
बहराइच से आये पीएफआई के नेता नजमुज्जमा ने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हुकूमत में जिस तरह 27 दंगे हुये हैं, उससे तय हो गया है कि सपा अब आरएसएस की गोद में बैठ गयी है और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ अन्दरूनी तालमेल से चुनाव लड़ने जा रही है।
धरने का समर्थन करते हुये सहारनपुर से आई महिला सामाजिक कार्यकर्ता शाहीन अंसारी ने कहा कि जब कोई निर्दोष मुस्लिम नौजवान आतंकवाद के आरोपों में पकड़ा जाता है तो सबसे ज्यादा संकट उस घर की महिलाओं के साथ आ जाता है क्योंकि जो लोग पकड़े जाते हैं, वे अधिकतर घर के कमाने वाले पुरुष होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों ने आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को फँसाकर बहुत से घरों को तबाह कर दिया है।
वहीं इण्डियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि गुजरात में जिस तरह सादिक जमाल मेहतर के फर्जी मुठभेड़ मामले में आईबी के उपर सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है, उससे साफ हो जाता है कि बहुत जल्द आईबी की साम्प्रदायिक और आपराधिक कारगुजारियों का भण्डा फूट जायेगा और उसके अधिकारी सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने कहा कि अब तो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, जो एक संवैधानिक संस्था है, के अध्यक्ष तक आतंकी वारदातों में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फर्जी तरीके से फँसाये जाने की बात कहने लगे हैं। लेकिन बावजूद इसके अगर सरकारों के कान पर जूँ नहीं रेंगती तो समझा जा सकता है कि सरकारें किस हद तक मुस्लिम विरोधी मानसिकता से ग्रस्त हो चुकी हैं।
धरने के दौरान भारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोइद और सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद आफाक ने कहा कि सूबे की सरकार विधानसभा का सत्र चलाने से खबरा रही है और इसीलिये उसे और लम्बा टालना चाहती है क्योंकि उसे खालिद की हत्या और निमेष आयोग की रिपोर्ट के अमल पर जवाब देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच के धरने में जिस तरह प्रदेश के अलग-अलग जिलों से प्रतिनिधि आ रहे हैं, उससे समझा जा सकता है कि खालिद की हत्या को लेकर पूरे प्रदेश के मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त है।
इस दौरान बोलते हुये मुस्लिम मजलिस के प्रवक्ता जैद अहमद फारुकी, इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद समी और शहजादे मंसूर अहमद ने कहा कि आईबी और दूसरी सुरक्षा एजेन्सियों पर जिस तरह सवाल उठ रहे हैं, उससे जरूरी हो जाता है कि सरकार लोकतन्त्र को बचाने के लिये आईबी की पूरी भूमिका को जाँच के दायरे में लाते हुये आतंकवादी वारदातों में उसकी भूमिका पर श्वेत पत्र लाये क्योंकि ऐसे किसी भी संगठन का बने रहना लोकतन्त्र के लिये खतरनाक है जिसके खिलाफ मानवाधिकार उत्पीड़न के अनगिनत साक्ष्य मिलते हों।
धरने का संचालन योगेंद्र सिंह यादव ने किया। धरने के दौरान जनान्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेता अरुंधती धुरु, पत्रकार शहीरा नईम, एसडीपीआई के मोहम्मद फहीम, पीएफआई के अरशद वसीम, वासिफ, मोहम्मद तकी, फैजान, मोहम्मद शोएब, इंजीनियर अशफाक, मोहम्मद सलमान, मोहम्मद जियाउल, मोहम्मद सरवर, मकसूम, मोहम्मद अरशद, मजीद अहमद, मोहम्मद नईम, मोहम्मद फहीम, आरिफ, हाजी मसीद कादरी, इशरारुल्लाह सिद्दीकी, जुनैद खान, मुस्लिम फोरम के मोहम्मद आफताब अहमद, राजीव यादव, शाहनवाज आलम, शिवदास प्रजापति समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।


