वे इंटरव्यू लेने नहीं देने गए थे
वे इंटरव्यू लेने नहीं देने गए थे

वैदिक ने यह करके अपने को पत्रकारिता से खुद बाहर कर लिया और राजनीति से भगवा ब्रिगेड ही बाहर धकेल रही है
अंबरीश कुमार
नई दिल्ली। राजनैतिक जनसंपर्क (Political public relations) के महारथी पत्रकार वेद प्रताप वैदिक (Ved Pratap Vaidik) सिर्फ मोदी की छवि बनाने के चक्कर में फंस गए है। अगर वे पकिस्तान सिर्फ हाफिज सईद का इंटरव्यू (Hafiz Saeed interview) लेने गए होते तो इतना हंगामा नहीं मचता। पर वे मोदी सरकार के अघोषित ब्रांड अम्बेसडर बन कर पकिस्तान गए और जो किया वह सामने है। उन्होंने सईद का इंटरव्यू नहीं लिया था बल्कि वे मोदी के राजनैतिक सामाजिक नजरिए की जानकारी देने गए थे।
पाकिस्तान से मिली जानकारी के मुताबिक उनकी यह मुलाकात बाकायदा आईएसआई और भारतीय आला अफसरों की जानकारी में ही नहीं हुई, बल्कि उनके निर्देश में हुई।
यह सब वैदिक की ही योजना थी जिसे दोनों देशों के अफसर नेताओं की मंजूरी भी थी। वर्ना जिस प्रोटोकोल में वैदिक पकिस्तान में थे उसमें कोई किसी बड़े आतंकवादी से इतनी आसानी से मिल ले यह आसान नहीं था। वे अगर हाफिज सईद से किसी अखबार या चैनल के लिए बातचीत करने गए होते तो कोई सवाल ही नहीं खड़ा कर सकता था। वे मोदी के राजनैतिक जन संपर्क अभियान पर निकले थे और इंटरव्यू लेने की बजाय देने की वजह से आज चर्चा में है।
वैदिक के चलते भाजपा इस समय अभिव्यक्ति की आजादी की सबसे बड़ी समर्थक पार्टी नजर आ रही है। पर दुर्भाग्य यह है कि छतीसगढ़ जैसे राज्य में मीडिया की नकेल कैसे भाजपा सरकार ने कस रखी है यह वहां के किसी वरिष्ठ पत्रकार से पता करे तो सामने आ जाएगा। इसे कुछ लोग एक राज्य का मामला बता सकते हैं तो वाजपेयी राज में तहलका के पत्रकार को तीतर बटेर पकड़ने/ मारने की धाराओं में फंसा देने का मामला याद कर लेना चाहिए। इसलिए जो काम वैदिक ने किया अगर कोई गैर-राष्ट्रवादी पत्रकार ने किया होता तो ये लोग पूरे देश में शहीदों के नाम पर यात्रा निकाल रहे होते और उस पत्रकार को फांसी पर चढ़ा देने की मांग होती।
वैदिक ने बहुत ही अनगढ़ तरीके से यह सब किया और पाकिस्तान में मोदी की छवि (Modi's image in Pakistan) बनाने के नाम पर अपनी छवि बनाने का भी काम किया। वे किसी का इंटरव्यू लेने नहीं देने गए थे। वे कश्मीर की आजादी का मुद्दा पाकिस्तान में उठा कर आए है। प्रशांत भूषण ने तो सिर्फ रायशुमारी की बात कही तो भगवा ब्रिगेड उखड गई थी। पर अब वैदिक जब कश्मीर की आजादी की बात कर आए हैं तो लोग खामोश है।
Modi's political branding is being done internationally. | Ved pratap vaidik meets hafiz saeed
दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी की राजनैतिक ब्रांडिंग की जा रही है। वे नेहरू-इंदिरा से पीछे क्यों रहे। वैदिक इसी काम में लगाए गए थे किसी अखबार का असाइंमेंट लेकर वे पकिस्तान नहीं गए थे। पर अति महत्वाकांक्षा और हड़बड़ी के चक्कर में फंस गए। ठीक बाबा रामदेव की तरह। वे भी राजनीति में काफी हड़बड़ी में थे और इस चक्कर में जो गैर राजनैतिक हथकंडा अपनाया उससे वे राजनीति से बाहर हो गए।


