पलाश विश्वास
जापान की परमानंददायक चरमोपलब्धि के बाद स्वदेश लौटकर राष्ट्रीय शिक्षक मोदी महाराज, शिक्षक दिवस पर एकमुश्त पूरे देश के छात्रों को भागवत कथा विकास कामसूत्र का पाठ देंगे। ऐसा बंगाल की आपत्ति के बावजूद बाकी गैर केसरिया राज्य सरकारों की सहमति से इंतजाम है।

गौरतलब है कि शिक्षक दिवस पर टेलीविजन, रेडियो और इंटरनेट के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के प्रत्येक छात्र तक पहुंचने की पहल से दिल्ली के निजी स्कूल असहज महसूस कर रहे हैं और इनका मानना है कि इसके लिए व्यवस्था करने को मजबूर करने से अन्य क्रार्यक्रम प्रभावित होंगे। दिल्ली सरकार के शिक्षा महानिदेशालय (डीओई) ने अधिसूचना जारी करके सभी निजी और सरकारी स्कूलों को प्रधानमंत्री के संबोधन का और छात्रों से प्रश्न उत्तर सत्र का सीधा प्रसारण 5 सितंबर को शाम 3 बजे से 4 बजकर 45 मिनट तक करने का निर्देश दिया था।

गौरतलब है कि इस हिटलरशाही निर्देश में कहा गया है कि इसमें किसी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।

डीओई का निर्देश इस बारे में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल के बाद सामने आया जिसमें देश के सभी स्कूलों में प्रधानमंत्री के संबोधन को दिखाने की व्यवस्था करने को कहा गया था। मजबूरन काफी स्कूलों ने इस पहल को सकारात्मक और अच्छा बताया है लेकिन वह महसूस करते हैं कि इसे प्रदर्शित करने के लिए जरूरी व्यवस्था करने के लिए उन पर काफी भार पड़ेगा और वह दिवस को ठीक ढंग ने नहीं मना पाएंगे।

मजे की बात तो यह है कि धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बिखरे अस्मिताबद्ध गैर भाजपा शासित राज्यों समेत पूरे देश के राज्य स्कूली छात्रों को शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन सुनाने व उनसे संवाद की व्यवस्था करने में सभी तरह की मदद कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश ने कहा कि वे प्रधानमंत्री का संबोधन प्रसारित करने के लिए सभी तरह की व्यवस्था कर रहे हैं जिसमें स्कूलों में टीवी सेट की व्यवस्था करना शामिल हैं।

बहरहाल पश्चिम बंगाल ने कुछ असहमति के स्वर व्यक्त करते हुए कहा कि कई स्कूलों में ऐसी व्यवस्था करने के लिए आधारभूत ढाँचा नहीं है। राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘ अगर वे (केन्द्र) ऐसा निर्देश देते हैं, तब इसकी व्यवस्था करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। स्कूलों में आधारभूत ढाँचा कहाँ हैं।’

इसे विकलांगता मुक्ति महोत्सव का चरमोत्कर्ष समझा जा रहा है, हालांकि हिंदूकरण और मनुस्मृति शिक्षा के इस विपुल आयोजन पर तीन दिन हुए खबर फटने पर भी धर्म निरपेक्ष खेमे पर हंगामा कोई बरपा नहीं है।

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पलाश विश्वास। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकर्मी हैं । आजीवन संघर्षरत रहना और दुर्बलतम की आवाज बनना ही पलाश विश्वास का परिचय है। हिंदी में पत्रकारिता करते हैं, अंग्रेजी के लोकप्रिय ब्लॉगर हैं। “अमेरिका से सावधान “उपन्यास के लेखक। अमर उजाला समेत कई अखबारों से होते हुए अब जनसत्ता कोलकाता में ठिकाना। पलाश जी हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।