सामूहिक योग प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान मोदी द्वारा दिए गये वक्तव्य का मूल पाठ
सामूहिक योग प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान मोदी द्वारा दिए गये वक्तव्य का मूल पाठ
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस- राजपथ पर आयोजित सामूहिक योग प्रदर्शन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य का मूल पाठ
देश भर में और विश्व भर में योग से जुड़े हुए सभी महानुभाव
आज कभी किसी ने सोचा होगा कि ये राजपथ भी योगपथ बन सकता है। यूएनओ के द्वारा आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आरम्भ हो रहा है।
लेकिन मैं मानता हूँ आज 21 जून से अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से न सिर्फ एक दिवस मनाने का प्रारम्भ हो रहा है, लेकिन शांति, सद्भावना इस ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए, मानव मन को ट्रेनिंग करने के लिए एक नए युग का आरम्भ हो रहा है।
कभी-कभार बहुत-सी चीजों के प्रति अज्ञानतावश कुछ विकृतियां आ जाती हैं। सदियों से ये परम्परा चली है, कालक्रम में बहुत सी बातें उसमें जुड़ी हैं।
मैं आज ये कहना चाहूँगा कि सदियों से जिन महापुरूषों ने, जिन ऋषियों ने, ................ जारी.......आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.....
जिन मुनियों ने, जिन योग गुरूओं ने, जिन योग शिक्षकों ने, जिन योग अभ्यासियों ने सदियों से इस परम्परा को निभाया है, आगे बढ़ाया है, उसमें विकास के किंद-बिंदु जोड़े भी हैं। मैं आज पूरे विश्व के ऐसे महानुभावों को आदरपूर्वक नमन करता हूँ और मैं उनका गौरव करता हूँ।
ये शास्त्र किस भू-भाग में पैदा हुआ, किस भू-भाग तक फैला, मैं समझता हूँ मेरे लिए उसका ज्यादा महत्व नहीं है। महत्व इस बात का है कि दुनिया में हर प्रकार की क्रांति हो रही है। विकास की नई-नई ऊंचाइयों पर मानव पहुंच रहा है, टेक्नोलॉजी एक प्रकार से मनुष्य जीवन का हिस्सा बन गई है, बाकी सब बढ़ रहा है। बाकी सब तेज गति से बढ़ रहा है, लेकिन कहीं ऐसा तो न हो कि इंसान वहीं का वहीं रह जाए। अगर इंसान वहीं का वहीं ................ जारी.......आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.....
रह गया और विश्व में सारी की सारी व्यवस्थाएँ विकसित हो गईं तो यह मिसमैच भी मानव जाति के लिए संकट का कारण बन सकता है और इसलिए आवश्यक है कि मानव का भी आंतरिक विकास होना चाहिए, उत्कर्ष होना चाहिए।
आज विश्व के पास योग एक ऐसी विद्या है और जिसमें विश्व के अनेक भू-भागों के अनेक रंग वाले लोगों ने, अनेक परंपरा वाले लोगों ने अपना-अपना योगदान दिया है। उन सबका योगदान स्वीकार करते हुए अंतर्मन को कैसे विकसित किया जाए, अंतर–ऊर्जा को कैसे ताकतवर बनाया जाए, मनुष्य तनावपूर्ण जिंदगी से मुक्त हो करके शांति के मार्ग पर जीवन को कैसे प्रशस्त करे, ज्यादातर लोगों के दिमाग में योग, ................ जारी.......आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.....
यानी एक प्रकार से अंग-मर्दन का कार्यक्रम है। मैं समझता हूँ यह सबसे बड़ी गलती है। योग, यह अंग-उपांग मर्दन का कार्यक्रम नहीं है। अगर यही होता तो सर्कस में काम करने वाले बच्चे योगी कहे जाते और इसलिए सिर्फ शरीर को कितना हम लचीला
बनाते हैं, कितना मोड़ देते हैं, वो योग नहीं है। हमने कभी-कभार देखा है संगीत का बड़ा जलसा चलता हो और संगीत के जलसे के प्रारंभ में, जो वाद्य बजाने वाले लोग हैं वो अपने-अपने तरीके से ठोक-पीट करते रहते हैं। कोई तार ठीक करता है, कोई तबला ठीक करता है, कोई ढोल ठीक करता है, पांच मिनट-सात मिनट लगते हैं, तो जो दर्शक होता है, उसको लगता है कि यार ये शुरू कब करेंगे, जिस प्रकार से संगीत शुरू होने से पहले ये जो ताल-ठोक का कार्यक्रम होता है और बाद में एक सुरीला संगीत ................ जारी.......आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.....
निकलता है। ये ताल-ठोक वाला कार्यक्रम पूरे संगीत समारोह में बहुत छोटा होता है, ये आसन भी पूरी योग अवस्था में उतना ही उसका हिस्सा है। बाकी तो यात्रा बड़ी लंबी होती है और इसीलिए उसी को जानना और पहचानना आवश्यक हुआ है। और हम उस दिशा में ले जाने के लिए प्रयत्नरत हैं।
मैं आज यूएनओ का आभार व्यक्त करता हूँ। दुनिया की 193 कंट्रीज़ का आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने सर्वसम्मति से इस प्रकार के प्रस्ताव को पारित किया और मैं उन 177 देशों का आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने को-स्पाँसर बन करके योग के महत्व को स्वीकारा और आज सूरज की पहली किरण जहां से प्रारंभ हुई और चौबीस घंटे के बाद सूरज की आखिरी किरण जहां पहुंचेगी। सूरज की कोई भी किरण ................ जारी.......आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.....
ऐसी नही होगी, सूरज की कोई यात्रा ऐसी नहीं होगी कि जिन्हें इन योग अभ्यासियों को आशीर्वाद देने का मौका न मिला हो। पहली बार दुनिया को यह स्वीकार करना होगा कि अब ये सूरज योग अभ्यासियों की जगह से कभी ढलता नहीं है, वो पूरा चक्र जहां सूरज जाएगा, वहां-वहां योग अभ्यास मौजूद होगा। ये बात आज दुनिया में पहुँच चुकी है।
मन, बुद्धि, शरीर और आत्मा ये सभी संतुलित हों, संकलित हों, सहज हों इस अवस्था को प्राप्त करने में योग की बहुत बड़ी भूमिका होती है। मैं आज इस महान पर्व के प्रारंभ के समय, ये सिर्फ और सिर्फ मानव कल्याण का कार्यक्रम है, तनाव मुक्त विश्व का कार्यक्रम है, प्रेम, शांति, एकता और सद्भावना का कार्यक्रम है, संदेश पहुँचाने का कार्यक्रम है और इसे जीवन में उतारने का कार्यक्रम है।
मैं इस कार्यक्रम के लिए हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। पूरे हिंदुस्तान में, हर गली-मोहल्ले में जो योग का माहौल बना है, उस माहौल को हम निरंतर आगे बढ़ाएँगे। इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।


