हाउडी मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव अभियान की शुरुआत, स्वामी विवेकानंद का नाम लेना भी मोदी को गवारा नहीं
हाउडी मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव अभियान की शुरुआत, स्वामी विवेकानंद का नाम लेना भी मोदी को गवारा नहीं

नई दिल्ली, 24 सितंबर 2019. नेशनल पैंथर्स पाटी के मुख्य संरक्षक प्रो.भीमसिंह (Prof. Bhimsingh, Chief Patron of National Panthers Party) ने नई दिल्ली से जारी किए गए अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हॉस्टन में किये गये भाषण (Prime Minister Narendra Modi's speech in Houston) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव अभियान की शुरुआत (President Donald Trump's election campaign begins) बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हॉस्टन में लगभग एक घंटे के भाषण अमेरिका और भारत के सम्बंधों के लिए इसे ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि ‘अब की बार फिर ट्रम्प सरकार‘, जिससे उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव अभियान की शुरुआत की, लेकिन वे अपने एक घंटे के भाषण में स्वामी विवेकानंद और श्री राम तीरथ जैसी भारत के महान धर्म-प्रचारकों का उल्लेख करना भूल गये, जिन्होंने अपने अमेरिका दौरे के दौरान कामयाबी के साथ ‘धर्म‘ और ‘दायित्व‘ के लिए मुहिम चलायी थी और ये विवेकानंद ही थी, जिन्होंने वहां दीवार पर लिखी एक लाइन, ‘गॉड इज नो व्हेयर‘, मैं थोड़ा संशोधन करके उसे ‘गॉड इज नाव हियर‘ लिख दिया था। प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका और भारत के लोगों के बीच मानवता के सम्बंध स्थापित करने में इन दोनों महान व्यक्तियों के योगदान का भी उल्लेख करना भूल गये। पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने भी कहा था कि ‘मशरीक से सर्द हवाएं आ रही हैं‘। हमारा नेतृत्व इन सर्द हवाओं को भी भूल गयी, जो भारत से मशरीक की तरफ जाती हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन ने पूरी दुनिया में शांति सुनिश्चित करने के लिए 1955 में ताशकंद में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत विश्व शांति, पूर्ण निरस्त्रीकरण के संदेश के साथ की थी। प्रधानमंत्री मोदी इस बड़े प्लेटफार्म पर इसका भी उल्लेख करना भूल गये।
प्रो. भीमसिंह ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को करोड़ों भारतीयों की भावनाएं इस बड़े प्लेटफार्म पर पेश करने के लिए मुबारकबाद देते हुए कहा कि अगर वे चाहते तो वे इस बड़े प्लेटफार्म का भारत के मानव गौरव के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन, धर्मनिरपेक्षता, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व, मानव गौरव का सम्मान, पड़ोसी देश एक-दूसरे के अंदरुनी मामलों पर हस्तक्षेप न करने, मानव प्रेम, न बंदूक, न बम, न गोली और न ही युद्ध जैसे भारत के संदेशों के लिए प्रयोग कर सकते थे, लेकिन वे ऐसा करने में विफल रहे।
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