एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 को मिल रहा व्यापक समर्थन
राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र (Robertsganj parliamentary constituency) में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 (Agenda Lok Sabha Elections 2024) एवं क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों को लेकर चलाए जा रहे संवाद व जन संपर्क अभियान को भारी समर्थन मिल रहा है।

सोनभद्र, 06 मई 2024. राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र (Robertsganj parliamentary constituency) में ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 (Agenda Lok Sabha Elections 2024) एवं क्षेत्रीय ज्वलंत मुद्दों को लेकर चलाए जा रहे संवाद व जन संपर्क अभियान को भारी समर्थन मिल रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में सोनभद्र जनपद की चार विधानसभाएं राबर्ट्सगंज, ओबरा, घोरावल व दुद्धी और चंदौली जनपद की चकिया विधानसभा शामिल हैं। यहां आदिवासी व दलित बड़ी संख्या में हैं। यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है। क्षेत्र का औद्योगिक जोन देश में ऊर्जा हब के बतौर विख्यात है। कोयला खदानें, एशिया का सबसे बड़ा बिरला का एल्यूमीनियम, केमिकल व सीमेंट उद्योग हैं। बालू-पत्थर खनन के लिए भी यह क्षेत्र जाना जाता है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार को राजस्व देने में यहां का महत्वपूर्ण योगदान है। बावजूद इसके यह पूरा क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है। आज भी यहां के लोगों को शुद्ध पेयजल तक उपलब्ध नहीं है। दुद्धी, कोन, जुगैल व भाठ क्षेत्र सिंचाई सुविधा से वंचित है और खेती-बाड़ी बेहद पिछड़ी हुई है। तमाम जगहों में अभी भी लकड़ी के हल बैल से खेती होती है। आदिवासियों व गरीबों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत वन उपज व वन भूमि में जोत कोड़ है जिससे भी वनाधिकार दावों का सुनवाई कर निस्तारण करने के बजाय बेदखल किया जा रहा है। क्षेत्र के पिछड़ेपन के चलते आजीविका के संसाधन बहुत कम हैं, फलस्वरूप बड़ी संख्या में युवाओं का पलायन हो रहा है। तमाम लड़कियां भी बंगलुरू जैसे शहरों में बेहद खराब हालात में काम करने को विवश हैं। अगर शिक्षा व स्वास्थ्य की बात की जाए तो प्रदेश में शायद ही कहीं पर इससे बुरी स्थिति हो। यहां के विशाल पठारी व दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र को देखा जाए तो सरकारी शैक्षिक व स्वास्थ्य संस्थाएं अपर्याप्त हैं। इन्हें सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। लेकिन इन संस्थानों में भी तय मानक के अनुरूप 50 फीसद इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है। शिक्षक, चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ के तकरीबन आधे पद रिक्त पड़े हुए हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो आम तौर पर रेफरल केंद्र बने हुए हैं। सरकार किसी की भी बनी हो, यहां के आदिवासियों एवं गरीबों के विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें की गई लेकिन जमीनी स्तर पर उल्लेख लायक कुछ भी नहीं किया गया। आजादी के 75 वर्ष बाद भी क्षेत्र की जनता शुद्ध पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित है।
आइपीएफ के एजेंडा लोकसभा चुनाव 2024 का मजमून निम्न है-
आज देश में भारतीय जनता पार्टी तानाशाही के फासिस्ट राज को कायम करने में लगी है। ऐसे में चुनाव में भाजपा को हराना हम सब का दायित्व है। लेकिन यहां के ज्वलंत मुद्दों को हल करने के सवाल को जोर-शोर से उठाए बिना लोगों का भला होने वाला नहीं है और हालात जस के तस बने रहेंगे। अन्य विपक्षी दलों को भी यहां के इन सवालों को उठाना चाहिए और इन्हें हल करने को लेकर जनता को आश्वस्त करना चाहिए।
प्रमुख मुद्दे जिन्हें हल किया जाना यहां के लोगों की बेहतर जिंदगी के लिए जरूरी हैं।
1- आजीविका संकट - रोजगार के सवाल को हल करने के लिए हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की गारंटी हो। इस क्षेत्र में युवाओं व महिला स्वयं सहायता समूहों को कारोबार के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर व ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाए। मनरेगा में न्यूनतम 200 दिन काम व 15 दिनों में भुगतान और मजदूरी दर 600 रू हो।
2- जमीन का सवाल - वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी तौर पर बसे व खेती कर रहे आदिवासियों व वनाश्रितों के वनाधिकार दावों का निस्तारण कर जमीन का आवंटन। इसके अलावा खाली पड़ी वन भूमि में सहकारी समितियों के माध्यम से फलदार वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम।
3- शिक्षा व स्वास्थ्य - गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बजट आवंटन किया जाए। तय मानक के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर सुनिश्चित किया जाए और सभी रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए। इसके अलावा आदिवासी व गरीब लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए न्यूनतम दो आवासीय महाविद्यालय खोले जाएं।
4- पेयजल संकट - यहां आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी पीने के पानी के लिए चुआड, नदी, नाले, बांध और कच्चे कुओं पर निर्भर है। इसके अलावा रिहंद जलाशय का फ्लोराइड , मरकरी युक्त बेहद प्रदूषित पानी पीना लोगों की विवशता है। हर घर नल योजना की पहुंच अभी 5 फ़ीसद भी नहीं है, उल्टे पेयजलापूर्ति के वैकल्पिक साधन हैंडपंप, टैंकर द्वारा सप्लाई आदि पर बजट में कटौती करने से पेयजल संकट गहराता जा रहा है।
5- पर्यावरण व प्रदूषण - कोयला परिवहन से लेकर बिजली कारखानों से फ्लाई ऐश का निस्तारण, बालू-पत्थर का अंधाधुंध अवैध खनन में एनजीटी, पर्यावरण मंत्रालय व सुप्रीम कोर्ट के आदेश महज कागजों तक सीमित हैं। जानलेवा प्रदूषण लाखों लोगों की जिंदगी को तबाह कर रहा है। जबकि फ्लाई ऐश के निस्तारण के लिए ईंट उद्योग, सहकारी समितियों के माध्यम से बालू-पत्थर खनन जैसे उपायों से प्रदूषण की समस्या से निजात मिल जाएगी और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी होगा। राजस्व में वृद्धि भी होगी।
6- घोरावल, करमा, राबर्ट्सगंज और नौगढ़ देश में टमाटर उत्पादन के लिए विख्यात है। कई क्षेत्रों में सब्जियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। सब्जियों के रख-रखाव और उचित दाम पर सरकारी खरीद न होने किसानों को बेहद सस्ते दामों में इन्हें बेचना पड़ता है और इनकी बर्बादी भी होती है। अगर इनके रख-रखाव का व्यवस्था हो, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाए जाएं तो किसानों को भी उचित दाम मिलेगा और क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। किसानों की सिंचाई की समुचित व्यवस्था।
7- मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा - यहां के औद्योगिक क्षेत्र में लाखों की संख्या में मजदूर काम करते हैं जिनकी सामाजिक सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। सबसे बड़ा सवाल तो इनके विनियमितिकरण का है। दशकों से काम करने वाले मजदूरों को संविदा प्रथा में काम कराया जाता है। मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन।
साथियों, लोक सभा चुनाव के दौरान आइपीएफ ने राबर्ट्सगंज संसदीय क्षेत्र में संवाद व जनसंपर्क अभियान के प्रथम चरण में चकिया, नौगढ़, करमा, चतरा, नगंवा, कोन, राबर्ट्सगंज, चोपन, घोरावल, दुद्धी , बभनी, म्योरपुर ब्लॉकों और डाला, ओबरा, अनपरा, शक्तिनगर, बीजपुर औद्योगिक क्षेत्र में लोगों से राय मशविरा किया है। हमने यह देखा कि बेकारी, मंहगाई और तानाशाही जैसे सवालों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रति गहरी नाराजगी है और लोग बदलाव भी चाहते हैं। लेकिन लोगों की ज्यादा दिलचस्पी रोजगार, जमीन, शिक्षा-स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, पर्यावरण व प्रदूषण की गंभीर समस्या जैसे सवालों को लेकर है जोकि उनकी जिंदगी से सीधे तौर पर जुड़ें हैं। आप सबसे अपील है कि जो लोग भी इस अभियान में जुड़ना चाहते हैं वह मोबाइल नंबर 9450153307 पर संपर्क करने का कष्ट करें।


