साहित्यिक पत्रकारिता

अव्यवस्थित लोकतंत्र और साहित्यिक पत्रकारिता: स्वतंत्र भारत में साहित्य का बदलता स्वरूप
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अव्यवस्थित लोकतंत्र और साहित्यिक पत्रकारिता: स्वतंत्र भारत में साहित्य का बदलता स्वरूप

यह लेख प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी द्वारा स्वतंत्र भारत में साहित्यिक पत्रकारिता की यात्रा, संपादकीय विवेक, सत्ता-संबंध और लेखकों की स्वायत्तता के...

जो कहीं भी नहीं छ्प सके, छाप रे ! - अशोक चक्रधर
साहित्यिक कलरव

जो कहीं भी नहीं छ्प सके, छाप रे ! - अशोक चक्रधर

दिल्ली के गुलमोहर सेंटर में 15 दिसम्बर 2023 को आयोजित कवि-सम्मेलन में अशोक चक्रधर सहित कई कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया

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